ASHISH KAYASTH ✍️   (shabdon_ke_ashish 🔥)
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Joined 21 April 2020


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Joined 21 April 2020
30 JAN 2022 AT 12:13

जलजमाव सी परेशानियाँ
आड़ी-तिरछी पगडंडियों के दोनों ओर लहलहाती खुशियाँ
मिलों का सफर , मंजिल तलाशती नजर
हिलोर मारती हवायें , दिन में झुमाये तो रात को सताए
सन्नाटे में सनसनी सी तन्हाई , साथ है तो बस परछाई
फसल कि कटाई में हिस्सा तो चाहिए सभी को
कुछ ही महिनें बाकी है अभी तो
मगर ! पूस की ठिठुरती रात में रखवाली करेगा कौन ?
मेहनत के विकल्प पे सभी है आखिर क्यों मौन ?
बस चंद पंक्तियों में यथार्थ का संस्मरण
इतना सा ही तो है इस जीवन का अलंकरण
एहसास @💖SwAsh💖





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28 JAN 2022 AT 12:19

इश्क की धरा
घुलते रहे नित्
हम-तुम जरा-जरा ! ❤️ !

थे पत्थर अलग अलग .....
मिले जो आज तब !!

साँसों ने साँसों को
कतरा-कतरा छू कर
पन्ना कर दिया खरा !! 💞 !!

एहसास@💖SwAsh💖
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27 JAN 2022 AT 18:03

एक शाम चाँद की दास्तां
सुन रहा था आसमां
आ गई थी कमबख्त बदली
नजरों की राह में
सुलगती रही फिर आशिकी
धरती की आह में
निशान है सीने में आज भी
कालिख के उस आग के
और सोचते है सभी
कि चाँद में दाग है ......
एहसास @💖SwAsh💖


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27 JAN 2022 AT 13:18

भीग रहे कदम
मेरे सनम
पहले नयन
फिर मन
और अब हम
मगर !
खुशियों तक सफर
करेंगें हमदम
रौंद कर
तेरे-मेरे मेरे तेरे सब गम
कतरा-कतरा !!
रफ्ता-रफ्ता !! !!
आहिस्ता-आहिस्ता ........
एहसास @💖SwAsh💖— % &

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26 JAN 2022 AT 20:45

जीने के लिए
नजरों से नजरों की
बस एक मुलाकात काफी है
अधरों पे जो जमीं
कभी सुर्ख कभी शबनमी
वो मिठास काफी है
सीने में सुलगती
कभी अटकती कभी सिसकती
साथ-साथ चलती ये साँस काफी है
दूरियाँ हो भले चाँद जितनी भी
मगर इस वसुंधरा को उस चाँदनी का
एहसास काफी है ...💖SwAsh💖— % &

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26 JAN 2022 AT 17:54

गुनाहगार कौन है ?
और तलबगार कौन !
सुकूँ से परे
नजरों को जो पढ़ें
इसे तो बस
एक हमदर्द
चाहिए 💖SwAsh💖— % &

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26 JAN 2022 AT 9:14

स्वाधीन भारत में अधीन स्त्री की अस्मिता की बात आखिर करेगा कौन ?
💖SwAsh💖
स्वतंत्र है हम , सबसे बड़े गणतंत्र है हम , मगर ! नारी की स्वाधीनता पर भला क्यों है मौन ?— % &

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25 JAN 2022 AT 18:13

उतार लाती हो प्रियतमा
हर शाम कतरा-कतरा अपनी अधरों पर
मैं खींच लाता हूँ रफ्ता-रफ्ता इन दो नजरों तक
जिन्दगी में है जो भी खुशहाली
वो सब बस है आपकी लाली
अरे खूबसूरती और है हीं कहाँ ?
इसके अलावा !
ये शाम , आप , मैं और
हमारे दरमियाँ 💖SwAsh💖
साँसों में महकती चाय की प्याली ........— % &

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25 JAN 2022 AT 12:00

रफ्ता-रफ्ता
मैं हरित , तुम पर्णहरित
कतरा-कतरा
तुम भी पढ़ो , मैं भी पढूँ
सबकुछ आहिस्ता-आहिस्ता
जरा सा बस तुम भी लिखो , और मैं पूरा करूँ
हमारे संघर्ष की दास्तां .......

एहसास @💖SwAsh💖

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25 JAN 2022 AT 11:36

लहराता रहे यूँ ही सदा
सादगी में लिपटा
रूप का आँचल
💖SwAsh💖
शायरी से आशिकी तलक
मेरा मतलब
ज़िन्दगी से ज़िन्दगी तक
💞SwAsh💞
कल !
!! आजकल !!
और कल ......

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