Aryaman Chetas Pandey   (चेतस)
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13 MAR 2017 AT 12:08

फागुन की पाय फगुनाहट हुलास भरी
रंग-रंग बूड़े-बूड़े आज हाट-बाट हैं
उछले उछाह भरे उमगे तरंग भली
गंगा मैयाजी के दूनों पाट के भी ठाठ हैं
भाँग औ' धतूरा के बौराए दूनों एक भये
को हैं डोम राजा मोरे कौन बिसनाथ हैं
भसम रमाय अंग-अंग महादेव लखो
होरिया के दिन मनिकनिका के घाट हैं

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12 NOV 2019 AT 23:29

अरी गङ्गा मैया! तनिक थमना और बहना
तुम्हारी आभा से सज सँवरती भारतमना
कछारों को जाना निकल हिमशृङ्गादिकुल से
सुनाना घाटों को अकथ-कथ गाथा, विलसना

~ अर्यमन चेतस

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7 AUG 2019 AT 14:06

उज्ज्वल जीवन रहा सदा निष्कलुष आचरण
सत्त्व-ओज-वक्तृता-भावना रहे आभरण
दें सच्ची श्रद्धाञ्जलि हम बेटियाँ पढ़ाएँ
और मिलें भारत को सुषमा सी सुषमाएँ

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26 MAY 2019 AT 23:07





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26 MAY 2019 AT 15:08

तुलसी की रसभूमि में बीज सूर के बोल
सींच रहीमी हाथ से फसल कबीरी तोल

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26 MAY 2019 AT 12:41

उम्दा हुए हैं ग़ज़्ल के उनवान-ओ-आग़ाज़
नीले तलक उठेगा जो धानी में गिर गया

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26 MAY 2019 AT 12:10

कू-ए-विसाल पर बढ़े थे पा-ए-वक़्त भी
क्या क़ायदा जो बात पुरानी में गिर गया

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26 MAY 2019 AT 12:08

क्या ख़ूब निबाहा है तजुर्बात से मलाल
तदबीर करते-करते कहानी में गिर गया

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23 MAY 2019 AT 22:40





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23 MAY 2019 AT 22:39





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