सुना है ऊपरवाला मदद उसी की करता है, जो खुद की मदद करने की कोशिश किया करते हैं। पर महफ़िल-ए ज़िन्दगी ने एक और सीख सिखाई है; कभी मुसीबतों से घिरे हो तो मदद की पुकार तभी लगाना जब पता हो आनेवाला मदद ही लेके आए, अक्सर जोश में शिकार शिकारी को ही रस्ता दिखाता नज़र आता है।।
रात के अंधेरों से कभी डर था नहीं, पर सपनों के टूटने पर तकली़फ तो होती थी, तकलीफ़ से दूर कभी भागे नहीं, पर सपनों को अधूरा देखने से इंकार सी थी। खुली आंखों से देखने लगी हूं वो सपने, अब टूटने का डर नहीं, बस सच करने का जज़्बा बचा है।।