मुझे मिलना है तुझसे,खुद को खोने से पहले,
तुझको गले से लगाना चाहता हुँ अब
तेरी यादों के सहारे ही जीता था अब तक ,
तेरे साए में रहकर जीना चाहता हुँ अब
नहीं कम होता सिलसिला दूरियों का कब से,
जज्बातों को अल्फाज़ देना चाहता हुँ अब
कब तक लिखेगी कलम मेरी तुमको,
अपनी गज़ले मै तुमको सुनाना चाहता हुँ अब
तुम पास आओ तो अपनी धड़कन सुनाऊँ,
अधूरी प्रीत की रीत करना चाहता हूँ अब
माना दूर रहना मजबूरी है लेकिन,
कुछ बातें अधूरी हैं जो कहना चाहता हुँ अब
मुझे मिलना है तुझसे,खुद को खोने से पहले,
तुझको गले से लगाना चाहता हुँ अब
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