Arun Lal   (अरूण लाल "अरूण")
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Joined 14 February 2021


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Joined 14 February 2021
9 APR AT 20:55

लहरों से लड़ते-लड़ते, जो तूफ़ान पार करने निकले है...।
हवाएं रुख बदलेगी, जो हम दरिया पार करने निकले है...।।

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5 NOV 2023 AT 11:00

गुजरते तुम हो साहेब,
वक्त कहां गुजरता है..
बसते कब हो तुम इस दुनियां में,
रुकते कहां हो, ठहरते भी नहीं
बस यहां से गुजर रहे हो
बस राहगीर हो दुनियां के
बड़े रास्ते भी नहीं चल सके
बस पगडंडियों पे ही चलते हो
शंकरे से रास्तों पर पल भर
चल पाते हो, निकल जाते हो
कहां वक्त है तुम्हे सुकून भरा
तुम जमीं को अपना कहते हो
पर तुम बेदखल हो,
न जानें कितने मालिक गए,
जीवन बड़ा कहां है
बस थोड़ा सा बचपन
थोड़ी सी जवानी
और फिर उसी में बसी है सब
ज़िंदगी बनाने की जद्दोजहद
एक दिन रूक जाना है सपनो को...
इसी में सब कुछ करना है
हमे कोनसा सदियों तक जीना है..।।

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14 JUL 2022 AT 10:17

भले ही बेजान लाशे बना के तस्वीरें खींच लो साहेब...
कुछ जिस्म मरने के बाद भी आंखें खोल कर जाते है...
#क्या_साहेब

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20 MAY 2022 AT 11:18

अब पुराने हो गए थे पत्ते साहेब,
कदीम महत्ता न समझी साखाओं ने...
गिराने की फ़िराक में तूफ़ान खड़े थे,
इल्ज़ाम उड़ाने का लिया हवाओं ने...।
#क्या_साहेब

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7 MAY 2022 AT 22:31

Part-1
अनुशीर्षक में पढ़े...
रीयल स्टोरी

जीने की चाह, कभी रूकने नहीं देती...

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29 APR 2022 AT 18:55

अनुशीर्षक में पढ़े...

आलेख
रेगिस्तानी रेत और जनजीवन...

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28 APR 2022 AT 23:36

सोने के मोहरों से नहीं मिलती मासूम मुस्कुराहटें साहेब...
बस चंद खुशियों को संग लेकर खिलखिला उठती हैं...
#क्या_साहेब

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1 MAR 2022 AT 13:19

तेरे स्वेद बूंदों से प्यास बुझाने की तमन्ना लिए बैठे हम...
और तुम बिन नीर की मृगतृष्णा दिखा के चले हो साहेब...
#क्या_साहेब

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27 JAN 2022 AT 15:03

तेरी झुकी हुई नजर... ये कसी हुई गिटार की तारे...
जानता हूँ साहेब,अश्क अरमानो के बह गये हैं सारे...
#क्या_साहेब

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22 JAN 2022 AT 12:38

उनके आने से बिन बादलों के बरसात हो जाती है...
उदासियों के साए से निकल कर मुस्कान बन जाती है..
उन बर्बाद दीवानों से पूछो कभी तबीयत से साहेब...
मोहब्बत में बिछड़के फिर से मिलने खुशी क्या होती हैं!
#क्या_साहेब

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