एक मुद्दत हुई ज़माने में तुझसा ढुंढते हुएएक ज़माने से लोग मुझ जैसा भी ढुंढ रहे है शायद -
एक मुद्दत हुई ज़माने में तुझसा ढुंढते हुएएक ज़माने से लोग मुझ जैसा भी ढुंढ रहे है शायद
-
तेरी नही तो मेरी भी नही हो सकती हैवफ़ा किसी की नही जब खुद की नही हो सकती है -
तेरी नही तो मेरी भी नही हो सकती हैवफ़ा किसी की नही जब खुद की नही हो सकती है
मुझे नही गिला हवा के झोंको से अबमुझे उड़ा ले गए वो अपने चार दीवारी केमुश्किल यही है के यकीन करें तो कैसे भलायकीन को रौंदे बैठे है अपने चार दीवारी के -
मुझे नही गिला हवा के झोंको से अबमुझे उड़ा ले गए वो अपने चार दीवारी केमुश्किल यही है के यकीन करें तो कैसे भलायकीन को रौंदे बैठे है अपने चार दीवारी के
बड़ी तकलीफ़ों से गुज़रे फिर एक तक़लीफ़ मिली हमकोज़िंदगी जितनी भी थी बड़ी बद नसीब मिली हमकोऔर हम तो थे एक परिंदा ऊँचे आसमानों का देवआसमान की ऊँचाई भी देखिये बड़ी कम मिली हमको -
बड़ी तकलीफ़ों से गुज़रे फिर एक तक़लीफ़ मिली हमकोज़िंदगी जितनी भी थी बड़ी बद नसीब मिली हमकोऔर हम तो थे एक परिंदा ऊँचे आसमानों का देवआसमान की ऊँचाई भी देखिये बड़ी कम मिली हमको
फिर वही चाहने की कोशिश की है मैंनेजिससे उम्र भर मैं हारता आया हूँगिरा ही हूँ दोस्त अभी थमा नही हूँमैं बाज़ हूँ कहाँ आदत से बाज़ आया हूँ -
फिर वही चाहने की कोशिश की है मैंनेजिससे उम्र भर मैं हारता आया हूँगिरा ही हूँ दोस्त अभी थमा नही हूँमैं बाज़ हूँ कहाँ आदत से बाज़ आया हूँ
मेरी हसरतें मुझी पर इस क़दर बरसी है।ज़िंदगी सब्र बड़े सब्र में गुज़री है। -
मेरी हसरतें मुझी पर इस क़दर बरसी है।ज़िंदगी सब्र बड़े सब्र में गुज़री है।
है कुछ नही सच कहने में उसके आगे देवउसे गलत साबित करते ही मेरी साँसे छीन जाएगी -
है कुछ नही सच कहने में उसके आगे देवउसे गलत साबित करते ही मेरी साँसे छीन जाएगी
मैंने न जाने किस-किस तरह न विश्वास किया था देवउसने न जाने किस-किस तरह से तोड़ा क्या कहूं -
मैंने न जाने किस-किस तरह न विश्वास किया था देवउसने न जाने किस-किस तरह से तोड़ा क्या कहूं
एक ही वज़ह से मिलना उसका मुझसे थामैं उसे अपना कहता था, उसका तुम मुझसे था -
एक ही वज़ह से मिलना उसका मुझसे थामैं उसे अपना कहता था, उसका तुम मुझसे था
एक ज़वाब की कमी एक सवाल से पूरी हुईज़िंदगी जितनी भी थी इंतज़ार में पूरी हुई -
एक ज़वाब की कमी एक सवाल से पूरी हुईज़िंदगी जितनी भी थी इंतज़ार में पूरी हुई