एक आस जगी है दिल में, उसके संग जीने की
मरने वाले बस उसकी, दो आँखों पे मर जाते हैं
हाल-ए-दिल क्या लिखे, पढ़ के जो मुस्कुराए वो
खत के सारे हर्फ, नज्म, कागजातों पे मर जाते हैं
कैसी ख्वाहिश पाली है, तितली के संग उड़ने की
कुछ तो बिछड़ के पत्तों से, शाखों पे मर जाते हैं
उससे एक शिकायत है, कि बात पुरानी करता है
हम बातों में आकर उसकी, बातों पे मर जाते हैं
मुमकिन नहीं उसे देखे, और दिल संभाले रहे
क्यूं हम अक्सर बेकाबू, जज्बातों पे मर जाते हैं
चाहत उसे पाने की, बस चाहत ही रह जाती है
कई दफे तो हम अपने, हालातों पे मर जाते हैं
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