आपको हम ना करेंगे कभी अपने से जुदा,
ना करोगे आप भी हमको कभी ख़फ़ा,
है ये दिल नादां जो ना रहे सुलझा सदा,
लेकिन इन उलझनों में भी याद आप ही को करे हर दफा।
जान सकें ना खुदको आजतक
पर आप जाना सा लगते हो,
नहीं पता हैं क्या ये दास्ताँ
पर है हमे आप ही पर आस्था।
लफ्ज कम पर जाते है क्यूँ आपके आगे?
लो आज हम चाहते है जवाब आपसे ये,
आज ना कोई जोर चलेगा दिल और दिमाग का
क्यूंकि आज हम ना रखेंगे इनसे कोई वास्ता।
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