Arpana kumari   (अर्पणा)
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Joined 30 July 2019


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27 JUL 2022 AT 20:51

दिल संजोये बैठा है अपने भीतर,
खूबसूरत सा एक बीता कल...
लिए चाहत कि
लौटा दे कोई वो चाँदनी
चार दिनों की,
कि मन ढूँढ रहा है फिर,
कुछ फुर्सत के वो पल!

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2 JUL 2022 AT 19:43

अगली सुबह नई सहर लाने को,
लाज़मी है...
हर शाम सूरज का यूँ ढलना भी!

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1 JUL 2022 AT 10:35

कुछ होती हैं रातें ऐसी, जब व्यक्ति
जीवन के हर पहलू में हार सा जाता है...
लड़ता है दिन में जो जंग खुद के लिए,
वही जंग खुद से कर, थक सा जाता है!

समझता है अनिश्चितताओं को, मानता हैं
किस्मत की उन लकीरों को,
जानता है कि अंत आखिर बेहतर होगा...
एक दिन आयेगा ऐसा
जब सब कुछ सच में अच्छा होगा!

होगा एक कल, इस आज से बेहतर
कश्मकश जो है अभी,
कभी होगी वो भी कमतर!
पर तब तक का धीरज मुश्किल है
ये रात गुजरनी मुश्किल है,
है द्वंद जो चल रहा है भीतर...
उसे अगली सुबह तक थाम पाना...
मुश्किल है!!

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4 JUN 2022 AT 21:58

मैं तेरा हूँ, तू मेरी हो ये ज़रूरी नहीं...
तेरी दुनिया है अलग मुझसे,
उस दुनिया में हो मेरा भी कोई कोना,
इसकी चाहत तो है, पर ज़िद नहीं..
इश्क़ की कई कहानियाँ मौजूद हैं इस जहाँ में,
पर हर दास्ताँ को हर्फ़ मिले, ये ज़रूरी नहीं!

तू चाहे जो कह दे, जो माँग ले
बेशर्त मंजूर है मुझे!
बदले मे कुछ माँगू मै भी...
ये शर्तों पर टिका कोई सौदा नहीं!
हाँ, साथ की आस है जरूर, पर तेरा हाथ
थाम मैं चल सकूँ... ये मेरा हक नहीं!

है प्यार मुझे तुमसे , पर वही जज़्बात उमड़े
दिल मे भी तुम्हारे, ये उम्मीद ज़रा भी जायज़ नही...
ये इकतरफा मोहब्बत भी सच होती कमाल,
मेरी रूह के हर कतरे पर है बस तेरा ही नाम लिखा...
पर तुझे हो इसका इल्म,
इस बात की तो , खुदा को भी इज़ाज़त नही!

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26 APR 2022 AT 13:48

हर जज़्बात को लफ़्ज़ों की हिफाज़त नहीं होती...
कुछ अहसास इन आँखों के दरमियाँ ही रहने दीजिए।

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24 APR 2022 AT 10:20

You are meant to be the invisible broken threads of my poems but never the voice of it.

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18 APR 2022 AT 7:52

जब जब कोई रात, दूसरी रातों से भारी लगी,
जब जब ये दर्द ए दिल, इन अश्कों से बहे,
कुछ रहा संग...
कहने को चुपके से, कानों में
कि तू रख हिम्मत...
सहर भी आएगी जल्द!
कि रुक जा कुछ साँसें फिर से तू, देख
एक बार फिर अपनी लकीरों की धार...
और अब तू लिख ,
लिख तू खुद अब अपनी कहानी!

मान ले अब तो ये बात,
कि नहीं महज तू किरदार कोई...
ढूँढ खुद में, कर तलाश, तेरे अंदर छुपी
है कहीं, एक अनकही, अनसुनी, पूरी दास्ताँ...

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17 MAR 2022 AT 18:01

मोहब्बत में डूबी नज़रों का आपस में टकराना,
माना की गज़ब का अफसाना होता है...
लेकिन भरी महफ़िल में , सिर्फ़ एक दूसरे के दीदार में
उन उठती झुकती, निहारती निगाहों की
आँख मिचोली की कशिश भी क्या बेमिसाल होती है!!

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1 MAR 2022 AT 22:00

इश्क़ के भी हैं कई रूप, ए गुलाब,
कहीं है जुनून तो कहीं समर्पण है!
कहीं रूहानी है मेल दिलों के,
कहीं हैं मात्र जिस्मानी चाह,
कहीं बस शरारत तो , कहीं ये पाक इबादत है,
कहीं शर्तों पे टिके हैं अल्फाज़ ए मोहब्बत,
तो कहीं बेशर्त बेनाम चल रहे हैं ये अनाम अहसास!!

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24 FEB 2022 AT 22:32

दुआ के बदले दुआ, बद्दुआ के बदले बद्दुआ मिलती है,
जिंदगी वो बूमरेंग है जनाब,
जहाँ अंधेरे मे लगाए तीर, अक्सर खुद को लगते हैं!

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