मैं तेरा हूँ, तू मेरी हो ये ज़रूरी नहीं...
तेरी दुनिया है अलग मुझसे,
उस दुनिया में हो मेरा भी कोई कोना,
इसकी चाहत तो है, पर ज़िद नहीं..
इश्क़ की कई कहानियाँ मौजूद हैं इस जहाँ में,
पर हर दास्ताँ को हर्फ़ मिले, ये ज़रूरी नहीं!
तू चाहे जो कह दे, जो माँग ले
बेशर्त मंजूर है मुझे!
बदले मे कुछ माँगू मै भी...
ये शर्तों पर टिका कोई सौदा नहीं!
हाँ, साथ की आस है जरूर, पर तेरा हाथ
थाम मैं चल सकूँ... ये मेरा हक नहीं!
है प्यार मुझे तुमसे , पर वही जज़्बात उमड़े
दिल मे भी तुम्हारे, ये उम्मीद ज़रा भी जायज़ नही...
ये इकतरफा मोहब्बत भी सच होती कमाल,
मेरी रूह के हर कतरे पर है बस तेरा ही नाम लिखा...
पर तुझे हो इसका इल्म,
इस बात की तो , खुदा को भी इज़ाज़त नही!
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