रात होने से पहले ये ख्वाब रोज़ आ जाता है,
जैसे तू नहीं आता कभी, तेरा ख्याल आ जाता है।
ये गम- ए- जुदाई भी क्यूं इतना अजीब होता है,
आंखें भर आती है, बिछड़ना जब याद आ जाता है!
मुझे मालूम है तू नहीं आएगा तब्बस्सुम लौटाने कभी,
तस्वीर ही भेज दिया कर, इसमें तेरा क्या जाता है।
तू मुझसे सवाल नहीं करता, कभी कोई जवाब नहीं देता
ऐसा तो तब करते हैं जब किसी के लिए कोई मर जाता है।
कबतलक हम ही बनाएं खुद से ये महल ख्वाबों के,
बोल दे जो है दिल में, बता तू हमसे क्या चाहता है।
इश्क़ से पहले हम भी आकिल थे ज़िन्दगी में यारों,
अब क्या लिखने जाता हूं , और क्या लिख जाता है।
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