कभी दुश्मन तो कभी सहेली है ।
इसके ना , हर बात में एक राज है
कहीं तो मासूम लगती
पर कहीं-कहीं ये लगती चालबाज है
कभी सोचूं भी इससे पीछा छुड़ाने का
तो छूट नहीं सकती
इसके साथ ऐसी अटूट बंधन है
कि चाह कर भी टूट नहीं सकती 😊
तो क्यूं ना इसको, दिल से अपना लूं
इसके नाज-नखरे को समझदारी से संभालूं
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