एक बुलबुल बड़ी मेहनत से पूरी ज़िंदगी घास और जड़ो का तिनका तिनका इखट्टा करके अपने बच्चे के लिए घरोंदा बनाती है। अपने प्यार और मेहनत से घरोंदे को खूब संवारती है। एक दिन बुलबुल घरोंदे को लोमड़ी के हवाले कर कुछ दिन के लिए चली जाती है। क्योंकि लोमड़ी उसे विश्वास दिलाती है कि वो इस घरोंदे का बखूबी ख्याल रखेगी। परन्तु चालक लोमड़ी एक झटके में उस घरोंदे को तोड़ देती है।बुलबुल जब ये सब देखती है उसकी आँखें भर आती है।लेकिन वो लोमड़ी इस बात से अनजान होती है कि जब प्रकर्ति कर्म का थप्पड़ उसके गाल पे धरेगी तब वो न तो जी पाएगी और ना मर पाएगी।
कर्म जरूर वापस आता है आज नही तो कल आता है, परन्तु आता इसी जन्म में है।
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