Aprajita Anand (Rhycha)   (Aprajita Anand(Rhycha))
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Joined 21 April 2018


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Joined 21 April 2018
17 SEP 2023 AT 1:23

खुले आसमान में पंख खोलने की इजाज़त
होती है मुक्कमल है जहां.........
बस यूं ही नहीं कहा करते हैं लोग
कि इश्क करने वाली रूह रहती है वहां.......

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14 JUL 2023 AT 11:33

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10 JUL 2023 AT 21:16

क्यों ढूंढूं मैं वजह
जबकि तुम हो रूबरू
और तुम बिन
है मेरा होना बेवजह

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6 JUL 2023 AT 6:29

Thank you so much for gifting the roses, reading my creations and giving your precious comments........

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24 JUN 2023 AT 9:29

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22 JUN 2023 AT 1:04

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11 JUN 2023 AT 21:18

है नायाब और रंगीन
कि तुमसे है ये फलक सारा
और तुम ही हो सारी जमीन
हो हाथों में हाथ तुम्हारा
यूं ही तय हो जाए हर सफर
ख़्वाब भी रहें तुम्हारे दर्मियां
तुझ संग ही बीते ये सारी उमर

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7 JUN 2023 AT 23:22

हर दरख़्त है बेज़ार हर निगाहें हैं सवाली
कि कहती है हर रूह ,बिन मेरे जिस्म है ख़ाली

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19 APR 2023 AT 19:21

जब खामोश थे इजहार- ए- इश्क़ के सारे गवाह
खुद मौजूद थे तब इस जहां के मेहर- ओ- माह

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13 APR 2023 AT 23:08

न जानें कब और कैसे बीते ये पहर
कि तुम बिन तो सुना है ये शजर और शहर

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