गुज़र गया, ये शाम भी ढल जायेगी ! ज़िंदगी के शोर में; यारों, कुछ बात कहिं खामोश सी रह जायेगी ! खुल के जी लो जितना जी सको, वर्ना देखते ही देखते जाने कब ये बाज़ी पलट जायेगी !!
जब भी चाहा उसने जंजीर तोड़ अपनी पहचान बनाने की , हर मुमकिन कोशिश की ज़माने ने उसपर और पकड़ बनाने की !! पर इल्म ना था उन्हें कि असीम शक्ति थी उसमें ; जिम्मेदारियों का पिंजरा उन तमाम बेड़ियों संग उड़ा ले जाने की !!