हँसना भूल गए हैं लोग, रुलाना फ़र्ज़ है अब सबका, इस भावविहीन मनुष्य को, खुश रहना रास नहीं आया, वजहें लाख ढूंढ लाया, पर कुछ जमा नहीं सबको, अब यूँ ही कटेगी ये हस्ती, पर हँसी को वापस न ला पाया।
निःस्वार्थी लोगों को सिर्फ धोखा ही नसीब होता है। ये दुनिया है यहाँ, कायदे और कानून सिर्फ किताबों में अच्छे लगते हैं। ये दुनिया है यहाँ, ईमानदारी का जीवन बिताने वाला ही भूखा मरता है। ये दुनिया है यहाँ, बचके रहना ही जिंदा रख सकता है।