Apoorv Shukla   (अपूर्व)
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Joined 11 November 2017


Joined 11 November 2017
5 MAY 2019 AT 16:36

He is killing himself and also his loved ones.

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5 MAY 2019 AT 16:28

हँसना भूल गए हैं लोग,
रुलाना फ़र्ज़ है अब सबका,
इस भावविहीन मनुष्य को,
खुश रहना रास नहीं आया,
वजहें लाख ढूंढ लाया,
पर कुछ जमा नहीं सबको,
अब यूँ ही कटेगी ये हस्ती,
पर हँसी को वापस न ला पाया।

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30 JAN 2019 AT 16:06

निःस्वार्थी लोगों को सिर्फ धोखा ही नसीब होता है।
ये दुनिया है यहाँ,
कायदे और कानून सिर्फ किताबों में अच्छे लगते हैं।
ये दुनिया है यहाँ,
ईमानदारी का जीवन बिताने वाला ही भूखा मरता है।
ये दुनिया है यहाँ,
बचके रहना ही जिंदा रख सकता है।

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7 JAN 2019 AT 23:46

पढ़ाई लिखाई में रखा ही क्या है,
जब अपराधी बन जाना ही,
इज्जत पाने के लिए काफी है,
इस बुज़दिल समाज मे। - भारतीय राजनीति और तथाकतिथ नेताओं के लिए।

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7 JAN 2019 AT 23:38

चलो देश को विश्वगुरु बनाते हैं,
सब आगे जाने की चाह रखते हैं,
और हम लोगों को पिछड़ा बनाते है। -
भारतीय जनता पार्टी को समर्पित।

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31 DEC 2018 AT 21:39

ये आखिरी दिन भी चला जाएगा,
ये रात भी कट जाएगी,
बस रह जायेगा कुछ पहले सा,
तो सिर्फ वहीं पुराना वक्त।।

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19 OCT 2018 AT 18:01

रावण तो जल जायेगा
लेकिन उसे खत्म कैसे करोगे।
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

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28 SEP 2018 AT 2:49

ज़िन्दगी की कश्मकश में उलझा हुआ हूँ मै,
ज़िंदा भी हूँ या यूँही बस चल रहा हूँ।

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16 AUG 2018 AT 3:38

ये ज़िन्दगी की उलझने भी कैसे चिपकी हुई हैं हमसे ,
रात के अँधेरे में भी गुम नहीं होती।

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28 JUL 2018 AT 1:02

क्या देखूं मै चंद्रग्रहण,
जब ज़िन्दगी में लगा है बेरोजगारी का ग्रहण।

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