ना रही जान बाकी तेरी फ़ुर्क़त में याद भी तेरी आती है अब फ़ुर्सत मेंमोहब्बत का हुस्न से वास्ता नहीं तुम्हें छू भी ना सके हम क़ुर्बत में बेपनाह चाहत और क्या ही मांगे आशिक फ़ना होके पड़े है तुर्बत में हम जो शायर क्या हो गए केसिर्फ़ ग़म मांगते है बरकत में तुझे देखने के बाद ऐसा लगता हैकोई और रहता है मेरी हरकत में -
ना रही जान बाकी तेरी फ़ुर्क़त में याद भी तेरी आती है अब फ़ुर्सत मेंमोहब्बत का हुस्न से वास्ता नहीं तुम्हें छू भी ना सके हम क़ुर्बत में बेपनाह चाहत और क्या ही मांगे आशिक फ़ना होके पड़े है तुर्बत में हम जो शायर क्या हो गए केसिर्फ़ ग़म मांगते है बरकत में तुझे देखने के बाद ऐसा लगता हैकोई और रहता है मेरी हरकत में
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ना रही जान बाकी तेरी फ़ुर्क़त में याद भी तेरी आती है अब फ़ुर्सत में -
ना रही जान बाकी तेरी फ़ुर्क़त में याद भी तेरी आती है अब फ़ुर्सत में
तुम्हें देख लूं तो नींद नही आती जो ना देखूं तो चैन नही पड़ता -
तुम्हें देख लूं तो नींद नही आती जो ना देखूं तो चैन नही पड़ता
क्या नही उलझता तेरी आंखों में देखकर कभी दिल संभाले है कभी गेसू संभाले है -
क्या नही उलझता तेरी आंखों में देखकर कभी दिल संभाले है कभी गेसू संभाले है
दर्द पे काबू अभी मुश्किल है ये जो ज़ख़्म है वो कल के हैं -
दर्द पे काबू अभी मुश्किल है ये जो ज़ख़्म है वो कल के हैं
मैंने तो बस फ़ासला बढ़ाया था तुमने तो दूरियां बढ़ा ली -
मैंने तो बस फ़ासला बढ़ाया था तुमने तो दूरियां बढ़ा ली
नया इश्क़ है झूठी कसमेंवादों से फिर मुकर जायेंगे -
नया इश्क़ है झूठी कसमेंवादों से फिर मुकर जायेंगे
उसके सिवा किधर जायेंगे हम तन्हा यूँ गुज़र जायेंगे -
उसके सिवा किधर जायेंगे हम तन्हा यूँ गुज़र जायेंगे
जुदा-जुदा से रहते है अब अश्क़ पलकों से ख़फ़ा रहते हैं अब हम टूट ना जाएं फिर से दिल संभाल के रखते हैं अब ग़म सिर्फ़ नाम के रह गए ख़ुशी छुपा के रखते हैं अब ज़हन में अब भी बसे हो जज़्बात छुपा के रखते हैं अब कोशिश है भूल जाने की दिल बहला के रखते हैं अब इश्क़ छोड़ तो दिया है दिल्लगी सबसे रखते है अब -
जुदा-जुदा से रहते है अब अश्क़ पलकों से ख़फ़ा रहते हैं अब हम टूट ना जाएं फिर से दिल संभाल के रखते हैं अब ग़म सिर्फ़ नाम के रह गए ख़ुशी छुपा के रखते हैं अब ज़हन में अब भी बसे हो जज़्बात छुपा के रखते हैं अब कोशिश है भूल जाने की दिल बहला के रखते हैं अब इश्क़ छोड़ तो दिया है दिल्लगी सबसे रखते है अब
कमरे तक सिमट कर रहने वाला मासूम चराग चांद से उलझ रहा दिल में शोले आंखों में अश्कउफ़ आग पानी से उलझ रहा जिनका कोई ठिकाना नही वो परिंदा आसमां से उलझ रहा यहां रूह बे-दर्द हो गई है और ज़ख़्म जिस्म से उलझ रहा जब जज़्बात मर ही गए तो बे-सबब मौत शव से उलझ रहा -
कमरे तक सिमट कर रहने वाला मासूम चराग चांद से उलझ रहा दिल में शोले आंखों में अश्कउफ़ आग पानी से उलझ रहा जिनका कोई ठिकाना नही वो परिंदा आसमां से उलझ रहा यहां रूह बे-दर्द हो गई है और ज़ख़्म जिस्म से उलझ रहा जब जज़्बात मर ही गए तो बे-सबब मौत शव से उलझ रहा