मैं याद रखूँगी
वो पहली मुलाक़ात,ख़ामोश नज़रे
तेज़ धड़कने,और घबराहटों वाली हंसी
तुम्हारा यूँ हक़ से मेरा हाथ थाम लेना,
और मेरा बेख़ौफ़ तुम्हारी ओड़ चल देना,
के तब से लेकर आज तक ये लड़की बेफिक्र
तुम्हारी निगाहों से सड़क पार कर जाती है
तुम्हारे सामने आते ही मेरा यूँ बेज़िक्र हों जाना,
वो मेरे होंटों को चूमने से पहले तुम्हारी गरम साँसों की महक,
मेरे गालों पे तुम्हारे हाथों की ठंडी छुआ का एहसास,
मैं याद रखूँगी
के उस दिन से पहली दफ़ा ये लड़की रातों को अक्सर घर देर से लौटती है
तुम्हारे उँगलियों से मेरे उलझते हुए ज़ुल्फ़ों की गुफ़्तगू,
मेरे बदन को भेद कर प्रेम भरे वो दातों की चुभन,
जो कई दिनों तक निशान बन तुम्हारे होने का सुकून देते हो
वो हर एक लम्हा,हर पल,हर वादा हर पागलपन
इश्क़ है मुझे इन यादों से
तुम्हारा यूँ क़रीब आना,मुझे अपने बाहों में भर लेना
के तुम्हारे गालों के नरमी का अपने गालों पे स्पर्श लिए एक उम्र बिता सकती है ये लड़की
और कसकर मुझे अपने दिल में छुपा,सो जाते हो जब घंटों बिना किसी सोच के
मेरा तुम्हारे सर को सहलाते हुए छाती से यूँ लिपट जाना,याद रखूँगी मैं
चाहें तुम मुझे तंग करो या बेरुख़ी दिखाओ
चिल्लाओ या ख़ामोश हो जाओ
मैं याद रखूँगी,
वो बिस्तर पर हमारी बच्चों वाली हँसी,
तुम्हारे नादान से दिल के धड़कनों की आवाज़
जो बेक़ाबू हो जाती है मेरे क़रीब आने पे,
और वो आँखें जिनमें आज भी ये लड़की डूबने का हक़ रखती है
याद रखूँगी मै वो शाम,
जब मेरे कानो का एक झुमका खोज लाए थे तुम
बिना किसी उम्मीद के और मुस्कुराके मेरे हाथों में थमाया था,
उस दिन और भी ख़ास बन गये थे मेरे लिये
वो गली,मोहल्ला,ट्रेन स्टेशन की वो चाय की टपरी,
तुम्हें अपने हातों से खिलाना और खाते देख खुश हो जाना,
चाहु भी तो नहीं भुला सकती
मैं तुमसे ये कैसे कहु,तुम मेरे क्या हो
के तुम वो किताब हो,जिसके हर पन्नों को
अभ याद कर चुकी है ये लड़की ।।
~ अनुष्का
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