Anurag Mishra   (Anurag Mishra)
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Joined 9 January 2018


Joined 9 January 2018
25 DEC 2023 AT 12:49

बरसो हो गए तुझसे दूर हुए,
पर तेरा इंतज़ार आज भी है

महीने हो गए तुझसे मिले हुए,
पर तुम्हारी खुशबू याद आज भी है

एक अरसा हो गया तुझे किसी और का हुए,
पर तेरी बेवफाई एक राज आज भी है।

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25 DEC 2023 AT 12:30

अब तो नया साल भी आगया,
तुम आखरी शाम बिताने तो आओगे ना?

अब तो हमारा जाम भी बनागया,
तुम हमे रोकने तो आओगे ना?

अब यूं तो ये जिंदगी कोरी हो गई है,
तुम इसके आगे की कहानी लिखने तो आओगे ना?

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1 MAR 2022 AT 6:44

हे महादेव तूने ही बनाया और तूने ही सम्भाला है,
मेरा वजूद भी तू और तू ही एकमात्र सहारा है,
अपनी कृपा मुझपे रखना हे भोले आगे चलके तेरे इस पुत्र को बड़ा नाम कमाना है।

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28 JAN 2022 AT 1:27

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9 MAY 2021 AT 19:42

हे माँ तूने ही जीवन दिया और
तूने ही चलना सिखाया है

हे माँ तूने ही खाना खिलाया और
तूने ही पकाना सिखाया है

हे माँ तेरे चरणों मे स्वर्ग और
तेरे कंधो का ही सहारा है

हे माँ मेरे गलतियों पे तूने ही डाटा और
तूने ही सुधारा है

हे माँ अब इस जीवन के समुन्दर में
बस अब तेरे प्रेम का ही सहारा है

हे माँ जिंदगी के हर पद पर
तूने ही तो मार्ग दिखाया है

हे माँ संसार के हर अँधेरे से
तूने ही तोह उजाले में लाया है

शुक्रिया माँ तेरे मार्गदर्शन के लिए और क्षमा मेरी नादानियों के लिए।

आपका पुत्र
अनुराग उमेश मिश्रा

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13 APR 2021 AT 22:58

मेरी प्यारी बहना

मुझसे उमर में बड़ी पर कद में छोटी
मेरी प्यारी बहना

माँ जैसे ममता के छाए में रखती है
और पिता की तरह डांटती है वो

इस दुनिया की मुश्किलों के लिए तैयार अवश्य करती है
पर उनसे बचा के सब खुद झेल लेती है

रक्षा का बंधन मेरे हाथों पर बंधवा कर रक्षा का वादा ज़रूर मैं करता हु,
पर रक्षा तो वो मेरी करती हैं इस समाज से

मेरी हर गलती पे डांटती ज़रूर है
पर हर कामयाबी पे शाबाशी उसकी ही होती है

माँ के पैरों में जन्नत, पिता के कंधो पर ठाठ,
भाई के साथ सुरक्षा तो बहन के आलिंगन में वो शीतलता है कि सारे दुःख दर्द भूल जाऊ

तो मेरी ज़िंदगी के हर अवसर पर
तु युही मेरे साथ रहना मुझसे रूठना तो आपका हक है
पर मेरे मनाने पे मान भी जाना।


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4 DEC 2020 AT 1:47

जहाँ जाऊ
मेरे साथ चलना तू

जहाँ जाऊ
मेरा हाथ थामना तू

अंधेरे में जाऊ
तो बाहर खींच लाना तू

रूठ जाऊ
तो मना लेना तू

तेरा ही बेटा हु माँ
बिगड़ जाऊ तो सुधार देना तू

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29 OCT 2020 AT 23:54

दर दर भटके हम
बंजारों की तरह

ना हमे किसी का पता
ना किसी को हमारा

ना भूक की समझ
ना प्यास की लाज

ये क्या बन गए हम तेरे इश्क़ में
ना सुबह की चाय
ना ही रात की शबाब में मज़ा।

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29 OCT 2020 AT 23:30

दिमाग का क्या करे मेरे यार
वो तो व्यापारियों से पूछो,
दिल का हाल बताओ तब
इस आशिक़ का नज़राना पाओ।

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18 AUG 2020 AT 23:18

बाहोत ताकतवर बनते हो
उस बेज़ुबान को मार कर

बाहोत ताकतवर बनते हो
उस बेज़ुबान को मार कर

अरे थोड़ा तो डर
ऐ इंसान थोड़ा तो डर

ना अल्लाह ना भगवान
ना अल्लाह ना भगवान

खुश होगा उस नादान को मरा पाकर

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