Anuradha Pachwariya  
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Hindi author at pratilipi
Joined 28 March 2020


Hindi author at pratilipi
Joined 28 March 2020
19 MAR AT 21:31

अध्यात्म के आनंद में डूबा व्यक्ति
संसार में रहने के बाद भी
इतना विरक्त हो जाता है
जैसे पानी पर तैरती तेल की बूंदे

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6 JAN AT 9:33

बड़ी नमी है इस सर्द कोहरे में
     लगता है किसी ने तुम्हें
     याद करके आंखें पौंछी हैं

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6 JAN AT 9:30

तुम कितना भी भूलने की
   कोशिश कर लो
  ये थरथराती जनवरी तुम्हें
   चाय का प्याला जरूर याद दिलाएगी

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6 JAN AT 9:26

'वो'  जनवरी के कोहरे की तरह
'उसके'  जहन में छाई है और
'वो'  चाय के प्याले की तरह
  'उसके'  दिमाग में

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30 DEC 2023 AT 9:01

तेरा जाना कुछ इस तरह से हुआ
कि मैंने रूह से ,रुह को निकलते देखा है
  भर आया वो आंखों में सैलाब बनकर
   कि मैंनें तुझको खुद में बिखरते देखा है

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15 DEC 2023 AT 21:25

तेरा जाना कुछ इस तरह से हुआ
कि मैंने रूह से ,रुह को निकलते देखा है
  भर आया वो आंखों में सैलाब बनकर
   कि मैंनें तुझको खुद में बिखरते देखा है

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14 DEC 2023 AT 13:39

इन चाय के प्यालों से
     तेरी यादों का सबब पूछ ले
     न जाने कितने खाली किए हैं
    इस सर्द मौसम की उदासी में

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9 DEC 2023 AT 20:47

तुमको देखे जमाने बीत चले
जैसे यादों के जंगल से फंसाने बीत चले
रह गई इस दिल में बस यादें ही बाकी
सपने सुहाने बीत चले

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24 OCT 2023 AT 8:50

अधर्म पर धर्म की विजय के
पावन पर्व - विजयदशमी की
मंगल शुभकामनाएं

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22 OCT 2023 AT 14:58

इन झिलमिलाती आंखों के अंदाज और भी है
मेरी नींदों में तेरे ख्वाब और भी है
कुछ इस तरह कर जिंदगी की राहों में सवेरा
इश्क में उल्फत के रिवाज और भी है

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