अनुपम प्रियम मिश्र   (Anupam priyam mishra)
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Joined 3 July 2020


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Joined 3 July 2020


बढ़ रहा है कोई और भी ,
अपनी उम्मीदें बटोर कर,,
आज चांद खुश होगा ,
फिर,, नए चकोर पर,,,!
है घड़ी उम्मीदों की ,,
उस छुअन की हिलोर पर,
बज रहें हैं शंख कई,
सांसों को शोर पर,,,!
गायेगी मंदाकिनी ,
सारे तान जोड़ कर,,
फूटेंगे बासंती स्वर ,,
आकाश की डोर पर,,!
हो सकेगा उजाला आज ,
चांद के उस छोर पर,
पग नए नए जो बढ़ रहें है,,
उसकी कोर पर!!!





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उसका सीस उतारो तो,
घर मे घुस कर मारो तो,
उसकी अस्थियो में भर तो भय,
मचा दो सीमा पार प्रलय,,
आकाश,नाग,त्रिशूल तुम्हारे,
तुमहि हो अधिनायक हमारे,
दिखाओ बल भुजदंडों का,
रौंदों गर्व इन भिखमंगो का,
आज ले आओ हार बनाके,,
काली को इनका सीस चढ़ाएंगे,
इतना सीस ले आओ,काट काट कर,
दुर्गा को रक्त से नहलाएंगे,

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हे अदम्य!भारत सेना,,
तुम,आह्लाद करो!
हैं तुम्हारे शस्त्र,अविजित
केवल जय का,,,, नाद करो,
हुँकार भरो,हुँकार भरो,,
,शिव सा क्रोधअपार भरो,
झुका हिमालय वन्दन में ,
गंगा के विस्तृत आंगन में,
शत्रु हॄदय के क्रंदन में,
असत्य गर्व के मर्दन में
दशदिक प्रलय ललकार भरो,,,,
सिंघनाद करो,,प्रयलनाद करो ,,
हुँकार भरो ,हुँकार भरो!

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इस सृष्टि का पहला प्रेमी ,
जब वियोग में हुआ ,
उसके अश्रुओं से गंगा बह निकली ,

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Glance ! the inverted sky- bowl ,
Stars are codes ,
Patterns are puzzles ,
Howls there whisper ,
Many secrets ripples ,,,,!

The mystery sleeps in those lockers ,
Oozing lights grinding wheels ,
Spying on us permanent stalkers !
Hovering over us earth walkers !

They will be here someday ,
When time and space will decay ,
When dimensions will be lost
When the reality will be crossed ,

They'll give resurrection to new starts ,
They're heathens of this cosmos ,
They're the rulers of chaos ,
They'll turn fresh mythos !!!

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प्रेम में पड़े पुरुषों ने ,
सब त्याग दिया ,
घर ,संसार , सिंहासन,
कुल ,मर्यादा ,संस्कार ,,,!
और वही नायिकाओं के हिस्से आया ,
केवल और केवल वियोग !
ऐसा प्रपंच जो अग्नि से भी जवलनशील,
वायु से अभी अधिक शुष्क,
जल से भी अधिक तरल,
और आकाश से भी अधिक अनंत,
पर पृथ्वी से भी अधिक सहनशील ,
योगिनियों ने ,,सब आत्मसात कर लिया !
नई पीढ़ियां बना दी,कुल की मर्यादा रख ली ,
अपने संस्कार नहीं छोड़े,अपने परिजन नहीं त्यागे ,
और फिर नया निर्माण भी किया ,,
नया प्रेम , नई आशा ,और नया जीवन !

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Sanitary pads ,,
Parliament to courts ...

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"योग्यता ,एक उत्सव है हर व्यक्ति इसे धारण नहीं कर सकता है क्योंकि हर किसी में उपयुक्त प्रश्न करने की योग्यता ही नहीं होती ,!

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"पुरुषों के विमुख हो जाने से ,
किसी प्रतिरोध ने आखें नहीं खोली युगों युगों से ,
झंझावात सा उठ गया है ,
एक महिला ने यदि विवाह बंधन त्याग दिया ;"
(Not to support Jyoti maurya 🤪)

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लोगो ने ड्यूटी यानि कर्तव्य और संघर्ष यानि struggle को एक दूसरे का पर्याय बना दिया है । युवा और नए नए लोग जिन्होंने अभी अभी अपने अपने संबंधित क्षेत्र में कार्य करना शुरू किया है वो सब अपने कार्य को संघर्ष का नाम देते है ,उन्हें ऐसा लगता है की इस प्रकार से अपने कार्य क्षेत्र का महिमा मंडन करने से उनके कीर्ति ने असाधारण उन्नति होगी ,जबकि ये अपने कार्य से किए जाने वाला अन्याय है , संघर्ष तब शुरू होता है जब आप अपने कर्तव्य में प्रवीण न हों ,या आपको कार्य ही करने का अवसर न मिले !

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