वो वहां कहीं उन पहाड़ो के पीछे,
मैं अपनी कुछ यादें छोड़ आया हूं।
हवाओं से कह दो,
यूं पहाड़ों से टकराकर मेरे पास ना आयें,
मेरा दिल फिर से यादों में उलझना नहीं चाहता।
नदियों से कह दो,
यूं मेरा पीछा ना करें,
मेरा दिल अब इश्क़ में बहना नहीं चाहता।
पंछियों से कह दो,
मुझे पुकारना बन्द कर दें,
मेरा दिल अब इश्क़ में उड़ना नहीं चाहता।
आसमां से कह दो,
अब मुझ पर बारिश न करे,
मेरा दिल अब इश्क़ में भीगना नहीं चाहता।
रुख़ तो करना चाहता हूं वापस पहाड़ों का,
बस मेरा दिल अब मेरी यादों से इश्क़ करना नहीं चाहता।।
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