सांसारिक अपभ्रंशो में, थी लिपटी इच्छाएं,अब ना कोई अर्जी और ना कोई चाह है।रिश्ते जहां नौका हैं, केवट हैं मर्यादायें, वहां संसार है समुद्र रूपी और जीवन एक प्रवाह है। -
सांसारिक अपभ्रंशो में, थी लिपटी इच्छाएं,अब ना कोई अर्जी और ना कोई चाह है।रिश्ते जहां नौका हैं, केवट हैं मर्यादायें, वहां संसार है समुद्र रूपी और जीवन एक प्रवाह है।
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धुंधली सी तस्वीर लिए, ख्वाहिशें चल पड़ी अकेली है..सुबह से है रिश्ता कैसा, इनकी तो शाम सहेली है..कब तक ये साथ तुम्हारे हैं, इसमें भी एक पहेली है..अब धुंध हटे तो पता चले, ये शाम कहां तक फैली है.. -
धुंधली सी तस्वीर लिए, ख्वाहिशें चल पड़ी अकेली है..सुबह से है रिश्ता कैसा, इनकी तो शाम सहेली है..कब तक ये साथ तुम्हारे हैं, इसमें भी एक पहेली है..अब धुंध हटे तो पता चले, ये शाम कहां तक फैली है..
धूल-धूसरित कर रावण को, बदला काल स्वरूप, व्यापक अकल अनीह अज निर्गुण नाम न रूप। (श्री राम) -
धूल-धूसरित कर रावण को, बदला काल स्वरूप, व्यापक अकल अनीह अज निर्गुण नाम न रूप। (श्री राम)
एक ही लक्ष्य को साधे भूले थे सब काज,स्वाधीनता, संप्रभुता और व्यापक समाज..जिस कल को बुरा हम कहते हैं, वो बना रहे थे आज,कहो रामराज्य या धर्मराज्य या कह लो स्वराज्य ... -
एक ही लक्ष्य को साधे भूले थे सब काज,स्वाधीनता, संप्रभुता और व्यापक समाज..जिस कल को बुरा हम कहते हैं, वो बना रहे थे आज,कहो रामराज्य या धर्मराज्य या कह लो स्वराज्य ...
ये बातें, जो उतर रहीं हैं पन्नों पर... केवल बातें नहीं हैं, तुम इस बात पर कुछ अमल भी करो।तुम तुम थे, हम हम थे ...ऽगर भूल गए हो तो स्मरण शक्ति को थोड़ा प्रबल भी करो। -
ये बातें, जो उतर रहीं हैं पन्नों पर... केवल बातें नहीं हैं, तुम इस बात पर कुछ अमल भी करो।तुम तुम थे, हम हम थे ...ऽगर भूल गए हो तो स्मरण शक्ति को थोड़ा प्रबल भी करो।
ना जाने कब तक तुम हमारे इश्क को हवा बनाओगे..कल लगता है दिल तोड़ोगे और दर्द को ही हमारी बनाओगे.. -
ना जाने कब तक तुम हमारे इश्क को हवा बनाओगे..कल लगता है दिल तोड़ोगे और दर्द को ही हमारी बनाओगे..
अगर कभी मन, मोह रूपी नदी के अविरल धार में बहते किसी नौका पर सवार होकर विहार करने लगे,तो उसे अंधकार भरा वो किनारा दिखा देना, जहाँ उसे थामने वाला कोई नहीं है...वो तत्क्षण अपनी गति में वापस लौट आएगा। -
अगर कभी मन, मोह रूपी नदी के अविरल धार में बहते किसी नौका पर सवार होकर विहार करने लगे,तो उसे अंधकार भरा वो किनारा दिखा देना, जहाँ उसे थामने वाला कोई नहीं है...वो तत्क्षण अपनी गति में वापस लौट आएगा।
थक गई हूँ तुम्हारे ख़यालों के साथ चलते-चलते,कभी मिलो तो मुझे तन्हाई का पता बता दो..सुना है हर किसी से मुझको गुनहगार कहा करते हो,मैं अनजान हूँ...मुझे तो मेरी ख़ता बता दो.. -
थक गई हूँ तुम्हारे ख़यालों के साथ चलते-चलते,कभी मिलो तो मुझे तन्हाई का पता बता दो..सुना है हर किसी से मुझको गुनहगार कहा करते हो,मैं अनजान हूँ...मुझे तो मेरी ख़ता बता दो..
मध्य रात्रि, घनघोर घटा और भाद्रपद का मास था,तिथि अष्टमी, रोहिणी नक्षत्र जब बदला सब विन्यास था...लीला स्वरूप वह नंदलाला था कृष्ण पक्ष में प्रकट हुआ,कायापलट तब हुई धरा की और कृष्णमयी सब जगत हुआ... -
मध्य रात्रि, घनघोर घटा और भाद्रपद का मास था,तिथि अष्टमी, रोहिणी नक्षत्र जब बदला सब विन्यास था...लीला स्वरूप वह नंदलाला था कृष्ण पक्ष में प्रकट हुआ,कायापलट तब हुई धरा की और कृष्णमयी सब जगत हुआ...
ना जाने क्यों अक्सर ये चांद सितारे, बादलों तले छुप जाया करते हैं...शायद ये भी हम जैसे हैं,हम भी उससे कुछ कहते हैं फिर कहते-कहते रुक जाया करते हैं... -
ना जाने क्यों अक्सर ये चांद सितारे, बादलों तले छुप जाया करते हैं...शायद ये भी हम जैसे हैं,हम भी उससे कुछ कहते हैं फिर कहते-कहते रुक जाया करते हैं...