उठो आगे बढ़ो, अपनी जिन्दगी के लिए लड़ो, ये वक्त नहीं है गिरने का, ये वक्त नहीं है थमने का, ये वक्त नहीं है रोने का, ये वक्त नहीं है हार जाने का, ये वक्त है अब लड़ने का, ये वक्त है बस जीत जाने का।
जो गहरे हो ऐसे मंज़र नहीं रखती, आँखों में मैं समुंदर नहीं रखती, बहुत खामियां हैं मुझमें और रहेंगी, पर मैं आस्तीन में खंजर नहीं रखती, जो आना हो तो रास्ता सीधा है मुझ तक, मैं कोई भूल भुलैया अपने अंदर नहीं, ज़रा रुकना भी ज़रूरी है ज़िंदगी की दौड़ में, साथी छूट ना जाये मैं दौड़ निरंतर नहीं रखती, तितलियाँ पसंद है मुझे जो मेहनत सिखाती हैं, यूँही जो इधर-उधर कूदे मैं ज़िन्दगी में वो बंदर नहीं रखती।
जुबां से निकली बात हवा हो गई, जान कर भी बात अंजान हो गई, जब कागज पर लिखी तो दवा हो गई, जब दिल से निकली तो दुआ हो गई, भगवान तक पहुँची तो खुद भगवान हो गई, रब ने पढीं तो गीता, कुरान हो गई।