जीवन शैली के परिवर्तन का नाम है एनएसएस,
व्यक्तित्व विकास का नाम है एनएसएस।
साझा करूं कुछ अपनी ही जुबानी,
याद आती है वो १० दिनों की कहानी।
जहां ज़माने से जीतना था,
सूर्य को हराना था,
प्रभात फेरी -"उठ जाग मुसाफिर" से शहर को जगाना था।
नाश्ते में पूरियों के लिए लड़ाई
और पानी वाली चाई की बुराई
ये तो रोज़ का काम था,
फिर भी साथ में मिलकर रहना, ये एनएसएस का देन था।
परेड का हो मैदान या हो श्रमदान,
पसीना तो दोनों में बहाना था,
व्हाइट टाइगर से राजपथ के मरकज बनने का सफर कहां इतना आसान था।
रातों की वो अधूरी नींद बौद्धिक सत्र में ही पूरी होनी थी,
परिवार से दूर रह कर भी परिवार कि कमी कहां महसूस होती थी।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के रंगमंच पर होते थे अनेकों परिधान,
यही तो है एकता का प्रतीक - हमारा देश भारत महान।
🇮🇳जय हिन्द।🇮🇳जय भारत।🇮🇳
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