Ankur Gupta   (अंकुर)
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Joined 27 December 2017


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5 OCT 2022 AT 13:34

शाम तक अधूरा कोई काम नही रखते,
पापियों का नाम कभी राम नही रखते,

थका भले ही दे मसले ये जीवन के,
पर कर्म करने वाले इस जीवन की दौड़ में कभी आराम नहीं करते।

नेकी तो बहुत से करते है चिल्ला चिल्ला कर,
असल सेवा करने वाले खुद का कभी नाम नहीं करते।

शक्सियतो की करनी पड़ती है परख बारीकी से,
यूं हर किसी राह चलते को हम सलाम नही करते।

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19 DEC 2021 AT 2:19

हाल भी वही, चाल भी वही,
जिंदगी पहले जैसी बेहाल भी वही।

टूटे सुर भी वही, बिखरी ताल भी वही,
जिंदगी पहले जैसी बवाल भी वही।

दिल के जवाब भी वही, तेरे सवाल भी वही,
जिंदगी में जो पहले था, मलाल भी वही।

तेरा ख्याल भी वही, ख्यालों में पुराना साल भी वही,
जिंदगी जैसी थी आखिर, फिलहाल भी वही।

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4 DEC 2021 AT 0:35

खूबसूरती की परिभाषा लिखूं या तेरा नाम,
एक ही बात है।
तेरा कायल कोई बेतहाशा लिखूं या मेरा नाम,
एक ही बात है।

जिंदगी एक पूरी लिखूं या तेरा नाम,
एक ही बात है।
तेरे बिन अधूरी लिखूं या मेरा नाम,
एक ही बात है।

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3 AUG 2021 AT 12:41

देखना हो, मिलना हो,
आंखो में बसाना हो, या थोड़ा हंसना मुस्कुराना हो,
रूठना हो, मनाना हो,
यादों में घुलना हो, या बस एक टूक देखते ही जाना हो,

सब ख्वाहिशें को पूरा करने का सहारा बस ये चंद अल्फाज है,
वरना शायर की ख्वाहिशों पूरा करने से तो खुदा को भी ऐतराज है।

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31 JUL 2021 AT 23:39

तुझे चाहने की हद को आखिर नाम क्या दूं,
तेरी होंठो को अपनी मोहब्बत का पैगाम क्या दूं,
तेरी एक मुस्कुराहट पर वार दूं दिल की हसरते सारी,
पर तू है दूर मुझसे इतना,
इस इश्क का भला अंजाम क्या दूं

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20 JUN 2021 AT 20:20

आसमां से टूटते तारे तो नहीं देखे,
पर इस जमीं के सितारों को टूटते देखा है।
इंसान को तो रूठते देखा ही था खुदा से,
आज खुदा को भी इंसान से रूठते देखा है।
देखा था साथ छुटते गैरो का हमेशा,
आज किसी अपने का साथ छुटते देखा है।

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6 JUN 2021 AT 7:55

ना वो रंगीन पन्नो का मौसम है, ना वो चेहरे का नूर है,
ये शायर अब बिना प्रेरणा के शायरी लिखने पर मजबूर है।

असल में वो बहुत दूर है, पर ख्वाबों में था जो हूर,
वो आज भी बदस्तूर है।

मेरी अंधेरी कहानियों में तेरे किरदार का सवेरा मशहूर है,

कोरे पन्ने पर भी जो लिखा
मेरे ख्वाब का एक बेहतरीन हिस्सा मयस्सर जरूर है।

बदस्तूर - As is or As usual
मयस्सर - Available

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5 JUN 2021 AT 19:36

कब पता था कि इंसानों की किस्मत का सिक्का इतना खोटा है,
ना जाने कौन कौन समय से पहले ही इस दुनिया से लौटा है,
कोई लिए गमों का कोटा तो कहीं पर खुशियों का टोटा है,
अरे बाबू मोशाय जिंदगी बड़ी होनी चाहिए,
जिंदगी का सफर भले ही छोटा है।

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9 MAY 2021 AT 16:58

खुदा का काम था मोहब्बत, वो माँ करने लगी,
खुदा का काम था हिफाजत, वो माँ करने लगी,
खुदा का काम था बरकत, वो भी माँ करने लगी,
देखते ही देखते उसकी आंखो के सामने
कोई और परवरदिगार हो गया
वो बहुत मायूस हुआ, बहुत पछताया
क्योंकि माँ को बनाकर खुदा बेरोजगार हो गया।

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2 APR 2021 AT 13:01

बनना चाहता हूं शायर,
अभी तो शायर का श बनना भी बाकी है,
कशम काश से भरा जो दिल है,
उसको शब्दों में बुनना भी बाकी है,
लोग मोहब्बतो में जान तक लुटा रहे है,
यहां तो अभी यारो का यार बनना भी बाकी है।

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