Ankita Mishra   (अंकिता ♈)
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A wandering soul ! In search of peace and Solitude !
Joined 18 May 2018


A wandering soul ! In search of peace and Solitude !
Joined 18 May 2018
3 OCT 2022 AT 0:34

उम्र ढलती है, ढल जाने दो
सिर्फ़ जीना आना चाहिए
जिस्म सिमटता है, सिमट जाने दो
सिर्फ़ रूह ज़िंदा चाहिए
हाथ कांपते हैं, कांपने दो
सिर्फ़ एहसास जवां चाहिए
तुम मुझ में और मैं तुम में खोए रहे,
बस इतना सा ही भ्रम चाहिए ...

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1 OCT 2022 AT 6:21

चल दिए हैं एक अंजान सफ़र पर हम
न घर का ठिकाना है न मंज़िल का
राह मुश्किल है ज़रूर पर नामुमकिन नहीं
और सच कहूं तो अब मंज़िल की
भी मुझे कोई परवाह नहीं
मंज़िल मिले न मिले बस सफ़र जारी रहे
कहीं तो पहुंच ही जायेंगे भटक कर ही सही ....

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30 SEP 2022 AT 22:18

तुम मेरे नहीं इतना समझती हूं मैं
पर हो तुम किसी और के भी नहीं पाओगे
जितना फरेब है तुम में
निभा तुम किसी और से भी नहीं पाओगे...

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30 SEP 2022 AT 22:11

है राह मुश्किल समझती हूं मैं
पर तुम हमराही न बन सको
इसका मतलब ये तो नहीं

है मंज़िल नामुमकिन समझती हूं मैं
पर तुम हमसफ़र न बन सको
इसका मतलब ये तो नहीं

हां हूं मैं थोड़ी अल्हड़ सी समझती हूं मैं
पर तुम मेरे हमराज़ न बन सको
इसका मतलब ये तो नहीं

किसी भी बात का मतलब कुछ भी नहीं
गर तुम साथ हो, और अगर तुम साथ नहीं
तो बात की बात भी नहीं ....

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29 SEP 2022 AT 22:47

तलाश है मुझे एक ऐसे साथी की
जो सिर्फ़ मेरा हमकदम ही नहीं,
मेरा हमसफ़र भी बने
हर डगर, हर राह पर सिर्फ़ मुझे ही चुने
जहां देखे, जिधर सुने सिर्फ़ मुझे ही सुने
हां तलाश है मुझे ऐसे हमराही की
जो सिर्फ़ मेरा हमकदम ही नहीं,
मेरा हमसफ़र भी बने,
मेरा हमसफ़र भी बने ...

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29 SEP 2022 AT 10:37

ख़्वाब भी अजीब होते हैं, नींद में भी ये सच नज़र आते हैं
खुली आँखों से देखे सपनों से ज़्यादा ये सच नज़र आते हैं
जैसे उन सपनों को जिया हो तुमने, चाहें एक रात ही सही
ऐसे हीं चंद सपने लिए मेरा मन, मन बावरा झूम उठता है
उसको पता ही नहीं के ये सपने नहीं सिर्फ़ और सिर्फ़ व्यथा हैं
पर बावरे मन की बावरी सी बातें, इनमें कुछ अलग ही नशा है
शायद ये सपने सच होना चाहते हैं,
ख़्वाब में लिपटी चादर से बाहर आना चाहते हैं
पर क्या ऐसा हो पाएगा, क्या मेरा बावरा मन इतना सब सह पाएगा ?

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28 SEP 2022 AT 20:52

आ गए कैसे तुम और मैं इतने करीब, मैं अल्हड़, बेजुबान, बेफिक्र
अपने जज़्बातों से,
शायद कह गई सब कुछ आँखों से और तुम पढ़ गए आँखें मेरी,
के तुम पढ़ गए बेजुबानी मेरी
पर मैं सोचती हूं के मैं और तुम 'हम' क्यों मिले, शायद मिलना ही था
हमें, क्या लिखा है नसीब में वो तो नहीं जानती मैं
पर शायद होना एक होना है हमें, इसलिए पढ़ पाए तुम मेरी बेजुबानी, मेरी आँखें, मेरी कहानी …..

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27 SEP 2022 AT 21:55

तुम्हारे होने के लिए मेरा होना
ज़रूरी नहीं
लेकिन ज़रूरी ये है के तुम हो कहीं
पर बात पता है क्या है के अब
मैं भी हूं यहीं, और सच में हूं इस बार
हर बार की तरह नहीं
के जब हम में भी
सिर्फ़ तुम होते थे और मैं नहीं,
तो अब ज़रूरी ये भी है के
मैं हूं यहीं,
तो अब मेरे होने के लिए
मेरा होना ज़रूरी है और
बहुत ज़्यादा ज़रूरी है ....

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27 SEP 2022 AT 21:28

तेरा होना ही बहुत है मेरे जीने के लिए
वरना मर तो मैं अकेले भी सकती थी

तेरा होना ही बहुत है मेरे होने के लिए
वरना रहती तो मैं अक्सर तन्हा ही थी

तेरा वजूद ही काफी है इस दुनिया में
मेरे होने के लिए, मेरी तमन्ना के लिए

के तू नहीं तो मैं भी कहां ही हूं
तू है, तो सब कुछ है,
फ़िर चाहे तू दूर ही सही

कहने को भले तू मेरे पास नहीं
पर मेरे लिए तू है इतना ही सही

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27 SEP 2022 AT 15:05

देखती हूं कुछ चेहरे तो लगता है
के हम क्या सुखी जीवन जी रहे हैं
वो मेहनत कर रहे हैं, और हम
सिर्फ़ बैठे बैठे हुकुम चला रहे हैं
जब देखती हूं तस्वीरें तो लगता है
के हम आख़िर क्या जी रहे हैं
क्या वो ज़रूरी है जो वो जी रहे हैं
या ये ज़रूरी है जो हम जी रहे हैं
वो बांस को टोकरी सर पर उठाना,
वो किलोमीटरों तक पहाड़ चढ़ना
और फ़िर चंद पैसे कमाना, तो
फ़िर खुद से सवाल करती हूं के,
क्या वो ज़रूरी है जो वो जी रहे है
या ये ज़रूरी है जो हम जी रहे हैं ...

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