Ankit Singh Rajput   (अंकित)
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Joined 24 July 2019


Joined 24 July 2019
31 JAN 2023 AT 11:43

सर्द रातों में हमनवाबी भी हम से
सुर्ख़ दिनों में ज़िक्र किसी और का ,
ये कैसा ताल्लुक़ है, रस़्म-ए-रिहा का
दिल के धड़कन पर नाम किसी गै़र का,

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10 JAN 2021 AT 19:26

कुछ कहे भी ना और छोड़ कर चले गए
सदमा में मुझे यूं छोड़ गए
दिलक़श दिल में उतर कर दिल तोड़ गए
ग़मों से नाता जोड़ गए

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19 DEC 2020 AT 11:49

तमाम उम्र है इश्क करने की ...
बस इक़ उम्र है सपने को हकीकत करने की ...

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2 DEC 2020 AT 9:00

उसके कहे चंद अल्फा़जों में, बहक गया है दिल मेरा...
कमबख़्त बड़ी नादान है, इश्क़ में पड़ गया है दिल मेरा...

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13 NOV 2020 AT 9:02

चैन होकर भी बेचैन रहने लगे हैं हम ....
एक शख़्स की तलब आजकल जो कर रहे हैं हम ....

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12 NOV 2020 AT 9:05

बेजुबा है ये दिल ...
कैसे अपना दर्द बयां करें
कितना चाहता है तुम्हें ...
कैसे ये बयां करें

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14 OCT 2020 AT 8:40

जो हुआ कुछ अच्छा नहीं हुआ,
ये इश्क़ में दोनों के बीच सच्चा नहीं हुआ ....
तू पहली दफा़ बता देती रक़ीब की चाहत है तुम्हें,
यूँ ये हाल तो मेरा नहीं हुआ होता ....

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13 OCT 2020 AT 18:41

अब सब कुछ याद रह कर भी याद नहीं रहता,
अब यह मौसम बरसात का होकर भी बरसात नहीं लगता....
जब से उन से मुलाकात हुई है,
बुखार हो कर भी मुझे बुखार नहीं लगता ....

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20 SEP 2020 AT 10:00

क्यों हाथों की लकीर पर यकीन करें
जब वह मेरी किस्मत में है, ही नहीं

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19 SEP 2020 AT 8:01

ए - खुदा ये कैसा जुल्म है
बद नसीब को ये कभी गवा़रा ना हो सका
जिसके हम ख्वाब देखते थे
वह हमारा होकर हमारा ना हो सका

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