पग- पग पे है चक्रव्यूह, हर पग पे बन तू अभिमन्युदूर्योधन जैसी चुनौतियों का जवाब है तू अभिमन्यु।।कर्ण समान भूले-भटकों का मार्ग है तू अभिमन्युभीष्म जैसे अपरिवर्तनीय का परिवर्तन है तू अभिमन्यु।।गुरु द्रोण शिक्षा घमंड को चूर-चूर करता तू अभिमन्युशकुनि के हर काया का कृष्ण माया तू अभिमन्यु।।चक्रव्यूह के हर ढाल पर अर्जुन का तीर है तू अभिमन्युपग-पग पे है चक्रव्यूह, हर पग पे बन तू अभिमन्यु।। -
पग- पग पे है चक्रव्यूह, हर पग पे बन तू अभिमन्युदूर्योधन जैसी चुनौतियों का जवाब है तू अभिमन्यु।।कर्ण समान भूले-भटकों का मार्ग है तू अभिमन्युभीष्म जैसे अपरिवर्तनीय का परिवर्तन है तू अभिमन्यु।।गुरु द्रोण शिक्षा घमंड को चूर-चूर करता तू अभिमन्युशकुनि के हर काया का कृष्ण माया तू अभिमन्यु।।चक्रव्यूह के हर ढाल पर अर्जुन का तीर है तू अभिमन्युपग-पग पे है चक्रव्यूह, हर पग पे बन तू अभिमन्यु।।
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उनकी नामौज़ूदगी से भी रूठे तो रूठे कैसे,उनके होने के अहसास भर से इश्क़ है मुझें।। -
उनकी नामौज़ूदगी से भी रूठे तो रूठे कैसे,उनके होने के अहसास भर से इश्क़ है मुझें।।
इश्क़ की क्या जुबां, इश्क़ की क्या पहचान है।मिल जाये तो हर अमावस चाँद है और न मिलेतो उगता सूरज भी ढलता शाम है ।। -
इश्क़ की क्या जुबां, इश्क़ की क्या पहचान है।मिल जाये तो हर अमावस चाँद है और न मिलेतो उगता सूरज भी ढलता शाम है ।।
उन आँखों का नज़्म क्या कहे,बड़ी खूबसूरती से मेरे ज़ख्मो को भरता है ।। -
उन आँखों का नज़्म क्या कहे,बड़ी खूबसूरती से मेरे ज़ख्मो को भरता है ।।
कहनें को एक उम्र बाकी हैं, पर मुझमें अब सिर्फ तू बाकी है ।।कहनें को अभी सफ़र बाकी हैं,पर मेरा तेरे संग वो एक पहर बाकी है ।।कहनें को मैं शायद कुछ नहीं तेरा,पर मुझमे अब तेरा पूरा वजूद बाकी है ।। -
कहनें को एक उम्र बाकी हैं, पर मुझमें अब सिर्फ तू बाकी है ।।कहनें को अभी सफ़र बाकी हैं,पर मेरा तेरे संग वो एक पहर बाकी है ।।कहनें को मैं शायद कुछ नहीं तेरा,पर मुझमे अब तेरा पूरा वजूद बाकी है ।।
क्यों तू थका अभी, तेरा वजूद अभी मिला नहीं,क्यों तू मायूस अभी, तेरी हार अभी तक तय नहीं।।क्यों तू रुका अभी, तूने उड़ान अभी तक भरी नहीं,क्यों तू लज्जित अभी, तेरी पहचान अभी तक बनी नहीं।। -
क्यों तू थका अभी, तेरा वजूद अभी मिला नहीं,क्यों तू मायूस अभी, तेरी हार अभी तक तय नहीं।।क्यों तू रुका अभी, तूने उड़ान अभी तक भरी नहीं,क्यों तू लज्जित अभी, तेरी पहचान अभी तक बनी नहीं।।
सूरज का ढ़लना शाम नहीं होता जब तक दो वक्त की रोटी न कमा लूमेरे आँगन में चाँद नहीं होता ।। #story of labour # -
सूरज का ढ़लना शाम नहीं होता जब तक दो वक्त की रोटी न कमा लूमेरे आँगन में चाँद नहीं होता ।। #story of labour #
क्या-पाया, क्या-खोया ये बात न पुछोएक लम्हा जी लिया उसके सँग अब कोई बात न पूछो।। -
क्या-पाया, क्या-खोया ये बात न पुछोएक लम्हा जी लिया उसके सँग अब कोई बात न पूछो।।
ख़ूबसूरत लग रही है जिंदगी लगता है किसी ने फ़िक्र करनाशुरु कर दी है ।। -
ख़ूबसूरत लग रही है जिंदगी लगता है किसी ने फ़िक्र करनाशुरु कर दी है ।।
सजतीं है मुस्कान जीन लबों पर उदाशियों का पहर अच्छा नहीं लगता ।।दे तुम्हें कोई तोड़ने का खौफ़ औऱ तुम्हाराडर कर ख़ामोश हो जाना अच्छा नहीं लगता।।कहँ दो अब तुम खुद से नहीं सहें गे अबकोई छुए मुझें बिना मेरी मर्ज़ी के, ये अच्छा नहीं लगता ।।हरकतें गंदी होती किसी और कि पर मुझे हीगंदी नज़रो से देखना, ये दोहरापन अच्छा नहीं लगता।।उसने जो जख़्म दिया न भरने का, क़ानून की पट्टी बाँध कर बार-बार उसे कुरेदना अब अच्छा नहीं लगता ।।जीत सके नहीं दिल मेरा तुम तो बिगाड़ दी सुरत मेरीकितनी सस्ती बिकती है ये बर्बादी की बोतलें ये अब अच्छा नहीं लगता ।।क्या कहूँ अब व्यथा अपनी चाहत मुझें पाने की होती है औऱ मिटाना भी मुझें ही चाहते हो ये बात अब अच्छा नहीं लगता ।। -
सजतीं है मुस्कान जीन लबों पर उदाशियों का पहर अच्छा नहीं लगता ।।दे तुम्हें कोई तोड़ने का खौफ़ औऱ तुम्हाराडर कर ख़ामोश हो जाना अच्छा नहीं लगता।।कहँ दो अब तुम खुद से नहीं सहें गे अबकोई छुए मुझें बिना मेरी मर्ज़ी के, ये अच्छा नहीं लगता ।।हरकतें गंदी होती किसी और कि पर मुझे हीगंदी नज़रो से देखना, ये दोहरापन अच्छा नहीं लगता।।उसने जो जख़्म दिया न भरने का, क़ानून की पट्टी बाँध कर बार-बार उसे कुरेदना अब अच्छा नहीं लगता ।।जीत सके नहीं दिल मेरा तुम तो बिगाड़ दी सुरत मेरीकितनी सस्ती बिकती है ये बर्बादी की बोतलें ये अब अच्छा नहीं लगता ।।क्या कहूँ अब व्यथा अपनी चाहत मुझें पाने की होती है औऱ मिटाना भी मुझें ही चाहते हो ये बात अब अच्छा नहीं लगता ।।