Ankit   (Ankit)
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Doctor
poet
Joined 22 December 2017


Doctor
poet
Joined 22 December 2017
16 JUN 2022 AT 1:34

रूह न मिला, वो जिस्मों का बाज़ार था।
इश्क ढूंढता वहां, हर आशिक लाचार था।।

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16 JUN 2022 AT 1:30

कुछ बंदिशे हैं जात की,
वरना मोहब्बत है आज भी।

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15 APR 2022 AT 18:39

मतलब की दुनियां यहाँ घर कहाँ,
माँ सा अपना यहाँ हर कहाँ.!!

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14 FEB 2022 AT 1:37

आज मेरी ये झूठी मुस्कान देख लो,
अपने हालात से रूबरू कभी और कराएंगे।।

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9 DEC 2021 AT 18:59

उससे क्या बैर करूं,
जिसे अब मैं गैर कहूं।।

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8 DEC 2021 AT 20:21

आ ओढ़ लूं तुझे मैं मोहब्बत की तरह
ये सर्द की रात थोड़ी लम्बी होने दे।।।

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10 MAY 2021 AT 8:37

वो सांस गिन रहा है, दो सांस पाने को,
मैं बेबस खड़ा हूं,
मिट्टी का पुतला ही तो  हूं, भगवान कहां हूं।।


थक गया हूं लोगों के आंसू देखकर,
मैं निशब्द खड़ा हूं,
इंसान ही तो हूं, भगवान कहां हूं।।


मां रो पड़ती है मुझे किट पहना देखकर,
पसीने में लतपत पड़ा हूं,
किसी का बेटा भी तो हूं, भगवान कहां हूं।।


मन बैठ सा जाता है, हज़ार लाशें देखकर,
पत्थर बन पड़ा हूं,
डॉक्टर ही तो हूं, भगवान कहां हूं।।


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2 APR 2021 AT 19:44

सोए जज़्बात, सूखे आंसू, और चंद खुशियों की भीख है।
और कोई पूछता है "कैसे हो?"
कहता हूं। तुम बताओ "यहां सब ठीक है!"

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14 JAN 2021 AT 1:28

हवा भी महक रही है मोहब्बत की तरह,
जुल्फ उनके आज फिर संभले नहीं शायद।।

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28 DEC 2020 AT 3:39

यूं ही कट जायेगा ये सर्दी का महीना भी,
फ़क़त तुम मुहब्बत की कम्बल ओढ़ाए रखना।।

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