तुम इन्तजार बहुत करवाते हो। तुम भी तो मेरी बात सुनती नहीं ये अधिकार मैंने कभी चाहा ही नहीं। अच्छा तो मेरा जाना ही ठीक है मै कब रोक पाई तुम्हें। ये अधिकार मैंने कभी चाहा ही तो नहीं.......
हम अपना गुस्सा, अपने आंसू, जलन उस इन्सान को दिखाने में बिल्कुल भी नहीं कतराते जिनसे हम प्यार करते हैं। लेकिन प्रेम व्यक्त नहीं कर पाते, क्योंकि हम चाहते हैं कि यह बात उन्हें खुद महसूस हो , प्रेम तो महसूस की जाती है। ये बात करने वाले, और जिनसे की जाए बस उनको पता होती है।