मैं जो हूं मैं खुद को झूठी सी लगती हूं मछली हूं पर पानी से रूठी लगती हूं . . और इश्क़ के रंगों से मेरा वास्ता कहां है मैं लाल हूं लाल छीटें खून की सी लगती हूं।।।
बारिश की पहली बूंद का मेरे गालों पर गिरना जैसे भीगी सी घास पर नंगे पैर चलना किसी नई किताब की महक मेरे ज़हन में उतरना जैसे तेरा मुझसे हाल - ए - दिल कहना बेशक , ये सभी एहसास हैं उम्दा अब और क्या कहूं दिल से कहते नहीं बनता।।