Anjali Pandey   (अंजलि)
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Joined 21 January 2021


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10 MAR 2021 AT 10:49

एक रोज कलम ये उठा करके
फिर लिखेंगें कुछ और नया !!!

(Full In Caption......!!)

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19 AUG 2021 AT 19:16

एक खामोश आवाज
सुनने की
कोशिश कर रही हूँ
हाँ खामोश है
मेरे अन्दर का शोर
फिर एक दिन
लिख दूँगी
ख्वाबों की स्याही से
उम्मीदों के कोरे कागज पर
बड़ी ही खामोशी से
और फिर पढ़ लेना
उसी खामोशी से,
बस इतनी ही
कवायद बरती मैंने
अपने ज्जबातों के साथ
लिखा पर कहा नहीं
कहा ना शोर है
अन्दर है तो अपना है
रहने दो
जैसा है वैसा ही
हाँ वैसा ही !!!!


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3 AUG 2021 AT 19:40

खयालात नहीं मिलते कभी हालात से
हाँ हालात बनाने पड़ते हैं खयालात से

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15 JUL 2021 AT 10:28

सब अक्सर कहते हैं , मन्नते अपनी टूटे सितारे से...!
कोई माँगे जो हक उसके,उसेभी पनाह मिल जाए !!

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8 JUL 2021 AT 14:17




ना दिखावे का भरोसा,ना दिखावे की तसल्ली
मतलबी दुनिया से कुछभी,बस हमें ना चाहिए
हम मुसाफिर का तो वैसेभी,नहीं होता ठिकाना
फिर निकल जायेंगे महफ़िल से यूँही करके बहाना
झूठेवादे कर दो सियासी,बगावत हमें ना चाहिए
मतलबी दुनिया से कुछभी,बस हमें ना चाहिए
मशहूर होने को भला क्यूँ ,झूठे फसाने ही गढ़ें
झूठ की मंजिल खड़ीकर हमभी बन जायें बड़े
दो दिनों की ऐसी फरेबी,बरकत हमें ना चाहिए
मतलबी दुनिया से कुछभी,बस हमें ना चाहिए

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21 JUN 2021 AT 15:20

अपनी कहानी का उसको पताक्या
खिजां की कहानी बताता ही होगा
दरख़्तों का वो आखिरी जर्द पत्ता
मेरी भी कहानी का आलम यही है
कि ले जाये मुझको पता ही नहीं है
किस मोड़पर मेरी मंजिल का रस्ता



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20 JUN 2021 AT 18:09

My father says always that it's never
too late to do anything you want
to do. He always inpires me to fight
the odds and not give up.

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14 JUN 2021 AT 10:06

अफवाहों का रिवाज कमहै महफिल में अभी
या फिर यूँ ही कहने रिवायत कोई आया नहीं

बदलेगा ये हालात है कयास ये मजमे को भी
हाँ बेशक तभी देने हिदायत कोई आया नहीं

इब्तिदा है तलाशकी मुकम्मल मिलेगी दोस्ती
क्यूँ हरदफा समझ अदावत कोई आया नहीं

क्यूँ हम मानलेते हैं ना रूठेको मनातेहैं कभी
हमारी अगर सुनने शिकायत कोई आया नहीं

थोड़ा तो था ताज्जुब जानकर हैदुनिया फरेबी
होश हुआतब जो थी जरूरत कोई आया नहीं






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4 JUN 2021 AT 9:31

मैं तुमसे ही बस एक गयी हार देखा
इन आँखों को नम जब कई बार देखा

कुछसोचा नासमझा बस बेशुमार देखा
इन आँखों को नम जब कई बार देखा

बेइंतहा कोशिशों की हद हुई पार देखा
इन आँखों को नम जब कई बार देखा

अकेले चांद का भी तो इंतजार देखा
इन आँखों को नम जब कई बार देखा

हाँ ख्वाब होते हैं कैसे तार तार देखा
इन आँखों को नम जब कई बार देखा

बारिश की बूंद में यादोंका गुबार देखा
इन आँखों को नम जब कई बार देखा

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3 JUN 2021 AT 18:56

कभी कहर तो कभी फजल लिखती हूँ
कुछ यही सोचकर आजकल लिखती हूँ

जिसे छिपारखा कभी मैंने लिखाही नहीं
चलो बाद अर्से ही वो गजल लिखती हूँ

बेशक ख्वाब हर एक होता पूरा कहाँ है
होने से रहे उन्हें अब मुकम्मल लिखती हूँ

सोचती ही रही जिन्हें दिन रात हर पहर
जानेक्यूँ आज बस पल दोपल लिखती हूँ

झरोखों तकहै किस्से नहीं,आया समझ तो
अपने इरादे इसदौर मुसलसल लिखती हूँ

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