यूँ तो दिल सबके पास है सबकी बात का असर कहाँ होता है दिल से दिल जुड़ा हो जिनका वही एक दूजे की खबर रखता है दिल की बातें दिल तक पहुँचती हैं दिमाग़ से की खुराफातें बुद्धि में समाती हैं तभी तो बुद्धि से तर्क वितर्क कुतर्क होता है भक्ति में परिवार में केवल दिल ही लगाइए बाकी संसार दिमाग़ से चलाइए यही सदगति का सुमार्ग होता है "अनिता " चेतनता बहुत जरूरी है आज कल मार्ग में हर अजनबी जो मिलता है दिल की बातें दिल ही समझे बेहतर है
साहस से ही लक्ष्य साधे जाते उद्धम से ही हर कार्य बनते कर्म करना हमारा धर्म है बाकी फल प्रभु की मर्जी से आते "अनिता " लक्ष्य पर ध्यान जमाना है इससे सकल मनोरथ पूर्ण हो जाते
रब की मेहरबानी सदा होती रहती है ये तो रहमत की बारिश है सदा बरसती रहती है हम ही ना जाने किन ख्यालों में गुम रहते जबकि सब पर नज़र ख़ुदा की रहती है जो मिला वो नाकाफ़ी लगता है उम्रभर हमारी शिकायतों की झड़ी लगी रहती हैं रब ने बिना पूछे जीवन दिया हर बशर की इसे ही फिक्र रहती है रब की मेहरबानी क्या बयाँ करूँ "अनिता " तू साँस भी इसके दम से ही लेती है तेरे नाम से मेरा काम बनता जाता वरना लोगों को चिंता की बीमारी घेरे रहती है
अपनी क़ुदरत से ख़ुदा सब गढ़ता है जब वह क़ुदरत को सबसे पहले बनाता है तब एकल परमपुरूष कहलाता है क़ुदरत आदि शक्ति का परम रूप है यही अनेक रंग रूपों में परिवर्तित होती रहती है परिवर्तन इसका अटल गुण है परम पुरुष अपरिवर्तित होता है यही ईश्वर का अटल गुण है
पहले ईष्ट का ध्यान कीजिये अपने लिए तो रोज दुआ करते हैं कभी दूसरों के लिए भी प्रार्थना कीजिये देने वाला रब देता है ,तेरा क्या जाता है सर्व हित माँगने से खुद का भला भी हो जाता है "अनिता " तो यही जाना है भोला-भाला रब भी बस यही चाहता है