Anil Krishna   (Anil Krishna)
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Joined 13 December 2021


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Joined 13 December 2021
25 JAN AT 5:27

कमजोर समझना बुजदिली है खुद को
चिराग को बुझा कर अंधेरा तलाश रहे हो
घर में कोई कोना सुकून का ढूंढ रहे हो
मन को उदास कर बीते समय में खोये हो
कीचड़ से निकल आने का मन तो करो
सांसे हैं जब तक ना मरने का वहम करो
सवाल का सवाली बनने से भी क्या मिला
एक सोच में डूबे रहने से ये शिकवा गिला
उठो और फिर चलो अभी रोशनी की ओर
संभावनाओं के कई द्वार खुलते हैं उस ओर

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25 JAN AT 5:04

तन को जल से शुद्ध करना सरल सहज है
मन को निर्मल करना उतना कठिन असहज है

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24 JAN AT 21:26

दिल की तासीर ऐसी है रोज़ रोज़े खोलते हैं
अजब सी फांका मस्ती में रोज रोज डोलते हैं

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24 JAN AT 16:41

पैसे की पहचान यहां इंसान की कीमत कोई नहीं
बचके निकल जा इस बस्ती से करता मोहब्बत कोई नहीं

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24 JAN AT 13:43

कभी इन खामोशियों में जवां होता है इश्क कोई
कभी इंतजार करते करते खामोश हो जाता है कोई

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24 JAN AT 12:36

आंखों के मोती जब भी बोलने को होते हैं
आंसू कभी खुशी और ग़म के साथ होते हैं

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24 JAN AT 10:37

कुछ चंद मिसरे ग़ज़ल के आज फिर से अधूरे रहे
होंठों पर लफ्ज़ थे गुनगुना लेते पर साज ना थे

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24 JAN AT 10:02

एक पल भी गुजरा ना सुकून से

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24 JAN AT 9:32

ठहर जातें हैं यूंहीं अक्सर
मेरे कदम थोड़ी देर रुककर
जहां से हम तुम फिर
नहीं मिले जबसे बिछड़ कर

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23 JAN AT 19:30

इक पल आकर मेरे करीब
मन की अड़चनें मिटा गया
आंखों की कश्ती से दूर
नीले सागर में घुमा गया
उसके एहसासों ने दिल की
हर हसरत को मिटा दिया
फिर उसकी ख्वाहिश में हमने
दिन को रातों में घटा दिया


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