Aniket Thakre   (PSEUDO)
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Joined 28 March 2019


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Joined 28 March 2019
28 MAR 2021 AT 12:37

उस नींद में भी हम क्या चैन पाएंगे,
जो उनसे गुफ्तगू किए बगैर आ जाए।

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21 MAR 2021 AT 16:30

Art lies beyond any restriction, It's an expression, it's an emotion...My work defines me. It's what I'm from beneath...Far from all judgemental and erratic thoughts, It's my own world....Where all expressions have their own freedom... Happy World Art Day

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11 MAR 2021 AT 21:40

इस जहां को बोहोत गौर से जानने की कोशिश की,
इस जहां को अपनाने की कोशिश की।
उस राह पे चल के कोई मंज़िल तो ना मिली, पर अंजाम ये पता चला
की शायद मुझे अकेला रखने की इस किस्मत ने कोई साज़िश सी रची थी।

हर दम अपनों के साथ रहकर भी उन्होंने बगावत सी की है,
लोगो के बीच घिरे होकर भी तन्हाई महसूस की है।
मेरी मान तो तू बस अकेला ही रहना सीख ले ए राहगीर...
जज़्बात का तो पता नहीं,
पर खुद तक अपनी सोच रख कर ये वीरान राह भी ख़ूबसूरत लगने लगी है।

अनिकेत ठाकरे

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23 FEB 2021 AT 20:28

न जाने किस चीज़ का डर है, न जाने कैसी ये जंग है,
न जाने क्या पाने के लिए हम खुदको मिटा बैठे है।

एक मक़सद तोह है इस दुनिया में आने का, पर कमबख्त इस भीड़ के कारण वो भी भुला बैठे है।

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22 FEB 2021 AT 12:17

इन भीड़ भरे रास्तों में, कहां खड़ा में मुझे क्या खबर?
बस पकड़ी कलम और लिखी सारी बातें लो हो गया शुरू ये सफ़र।

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18 FEB 2021 AT 23:17

ज़िंदगी क्या है?
कभी गमों की बरसात,
कभी खुशियों की बारात।

हर पल एक नया एहसास है ज़िंदगी।

कुछ ना पता होते हुए भी हर सवाल का जवाब है ज़िंदगी,
हर अंजान राहों पर चलना है ज़िंदगी।

किसीको इसकी सच्चाई नहीं पता, फिर भी कोई भ्रम में जीना है ज़िंदगी।

तुम चाहो तो लंबी है ज़िंदगी, तुम चाहो तो २ पल की है ज़िंदगी।

अगर देखा जाए तो बस तुम्हारा इस वजूद को देखने का नज़रिया है ज़िंदगी।

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16 FEB 2021 AT 23:52

बेवफ़ाई की बातें तो सारा जाहां कर रहा है, पर सबसे बड़े बेवफ़ा तोह हम खुद ही निकले....

चले थे दुनियां में कलम के सहारे मोहब्बत बांटने, पर खुद ही से प्यार करना भूल गए।

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5 JAN 2021 AT 9:58

Zindagi bhi kuch ajeeb si lagne lagi hai
Apne sapno ki raahon ke taraf badh zarur raha hu,
Fir bhi kuch kami si lag rahi hai..
Najaane kyu is duniya se khudko taultaa hu?
Najaane kyu khudpe hi me shaq karta hu

Ek azeez cheez ko mene paaya zarur hai
Par kambakth usko bhi khone se darta hoon...

Ab nahi sochna hai ki kal kya hoga aur kya rahega mere sapno ke taraf badhne ka anjaam..
Bas mujhe aaj me hi jeena hai, Aur karna hai kuch saakar

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3 APR 2019 AT 19:24

Pata nahi kyu vo apni Ruh chodd ke chale Gaye....
Pata nahi kyu vo itni dur Nikal Gaye...
Unhe bhi to humaari yaad aati hogi..
Shayad iss baarish ke bahane vo humse milte hai gale...😊

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29 MAR 2019 AT 10:42

Voh apni Ruh chhod kyu chale Gaye?
Itni dur kyu Nikal Gaye?....
Unke Bina viraan sa hai ye manzaar
Jaha hum akele hi hai khade...

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