आंखे थक चुकी हैं नींद के इंतजार मैं,
मैंने ढूंढा बहुत उसे सुकूं के बाजार मैं
पर दिल और दिमाग की जंग अभी भी जारी है,
कुछ बातों की यादें सायद उम्मीद से भी भारी है
यूं कब तक मन परेशान हो सोच के तकरार मैं,
मैने ख्वाबों को छोड़ रखा है बीच मचधार मैं
पता है मुझे ये गुलजारे रात की हुसियारी है
वो जान चुका हे, हमें इतवार वाली बीमारी है।
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