Aniket Agrawal  
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I'm here to just enjoy my writing...my thoughts.... nd my imagination...
Joined 12 December 2018


I'm here to just enjoy my writing...my thoughts.... nd my imagination...
Joined 12 December 2018
4 APR AT 14:30

बहुत भागने की कोशिश की
पर उन आंखों ने आखिर रोक ही लिया

क्योंकि

बहुत से आंखों को टहलते देखा
पर सिरत-ए -ठहराव उनसा कहीं और नहीं,

पलके रहती झुकी हुई, पर जब भी आंखें मिली
तो दिल ने कहा
जनाब, कुबूल-ए-सूरत उनसा कहीं और नहीं।

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3 MAR AT 5:29

एक इंतजार जो मिलके भी खतम ना हुआ,
एक इकरार जो इजहार करके भी कुबूल ना हुआ,

कुसुरवार कोन भला, एकबार ढूंढो तो जरा...

क्या वो वक्त था ? हालात थे ? या वो लोग थे ?

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2 MAR AT 16:49

एक सच से जो वो अनजान था
तब उसके लिए मुस्कुराना कितना आसान था,

जो आज यह पर्दा खुल गया
वो इंसान मुस्कुराना ही भूल गया,

अच्छा हुआ होता यह राज, राज ही रहता
जो सब एक पल में खतम होगया, सायद वो आज भी रहता।

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23 DEC 2023 AT 4:02

नोटबुक के आखरी पन्नों के माफिक
यह दिसम्बर जैसे सारी पहेली बुझा रहा है,

कुछ जो अल्फाज अधूरे लग रहे थे
उन सबका यह मतलब समझा रहा है,

सवालों के ढेर बिखर गए थे शुरुआत में
यह उन सबको बखूबी समेट रहा है,

आज बैठा इसके साथ तो एहसास हुआ
यह तो अपने दिए तौफे गिनवा के
मुझे अल्वीदा कहने की तैयारी कर रहा है ।

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26 NOV 2023 AT 21:27

मेरे अंदर का गांव, इस बाहर के सेहर में
अक्सर अपने आप को अकेला पाता है,

जब कभी

वो बहरूपिया जो मेरा किरदार निभा रहा है
अपने बचपन को किसी से बांटना चाहता है।

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15 OCT 2023 AT 2:30

आंखे थक चुकी हैं नींद के इंतजार मैं,
मैंने ढूंढा बहुत उसे सुकूं के बाजार मैं

पर दिल और दिमाग की जंग अभी भी जारी है,
कुछ बातों की यादें सायद उम्मीद से भी भारी है

यूं कब तक मन परेशान हो सोच के तकरार मैं, 
मैने ख्वाबों को छोड़ रखा है बीच मचधार मैं 

पता है मुझे ये गुलजारे रात की हुसियारी है
वो जान चुका हे, हमें इतवार वाली बीमारी है।

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10 OCT 2023 AT 23:51

कल खामोशियों के गली से गुजरा
तो मेरे ख्वाबों का घर मिला,

उस घर के चौखट पे बैठा
तो मानो जैसे समय का सागर मिला,

उस सागर में गोते लगाते लगाते,
फिर शाम सुहानी हो गई...
खुद से जो मुलाकात हुई तो
कुछ बात पुरानी हो गई।

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15 SEP 2023 AT 2:02

कुछ शब्द इन " शब्दों " के नाम

जो हमेशा मुझे जिंदा होने का ऐहसास दिलाते हैं,
जो इस दिल में दबे बोझ को हमेशा साहारा देते हैं,

जो हुआ मैं उदास तो
मेरे पास बैठ मुझे टूक टूक निहारते हैं,

जो इतनी आसानी से
मेरे हर जज्बातों को अपने बाहों में समेट लेते हैं,

जो इस सन्नाटे भरे रात में भी
मेरे खामोशी के शोर को दूर तलक ले जाते हैं।

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8 SEP 2023 AT 21:10

अक्सर अनजान बन जाता हूं
तो खुस होजाते हैं वो,

वरना उनका इरादा तो
कबका आखों से पढ़ लिया है...


आज झूठ बोलके
लगता होगा गुमराह कर दिया,

पर वो अक्सर भूल जाते हैं
हमने बातें हमेशा आखों से किया है...

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7 SEP 2023 AT 0:21

कुछ भारीपन सा महसूस हो रहा है
शायद आज थक गया हूं!

खुद के सवालों का जवाब देते देते
शायद आज हार गया हूं!

कोसिसे हमेशा बेहतर करने की की थी

पर सबको खुश करने के ख्वाइश में
खुद से आज रूठ गया हूं!

बस इस रात से अब गुजारिश है
के अपने नींद के नशे में डूबा दे
और कल सुबह मुझे खुदसे मिला दे,

क्योंकि आज मैं थक गया हूं....
इन सबसे अब थक गया हूं.......

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