हम भाई-बहन कितने दूर हो जाते हैं ,
इतने व्यस्त हैं सभी कि ,
मिलने से मजबूर हो जाते हैं,
एक दिन भी जिनके बिना नहीं रह सकते थे
हम सब जिंदगी में अपने
मशरूफ हो जाते हैं,
छोटी-छोटी बात बताए बिना हम रह नहीं पाते थे ;
अब बड़ी-बड़ी मुश्किलों से हम
अकेले जूझते जाते हैं,
ऐसा भी नहीं कि अहमियत नहीं उनकी कोई
पर अपनी तकलीफें उनसे न
जाने क्यों छिपाते हैं,
रिश्ते नए जिंदगी से जुड़ते चले जाते हैं,
और बचपन के ये रिश्ते
कहीं दूर हो जाते हैं
खेल-खेल में रूठना मनाना रोज-रोज़ की बातें थी,
और छोटी सी गलतफहमी
दिलों को दूर कर जाते हैं
सब अपनी उलझनों में उलझ कर रह जाते हैं,
कैसे बताएं उन्हें हम वो हमें ;
कितना याद आते
वो जिन्हें एक पल भी हम भूल नहीं पाते हैं !!
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