Anamika Sharma   (अ१क)
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Alchemist believer
Joined 16 March 2018


Alchemist believer
Joined 16 March 2018
27 MAY 2023 AT 15:19

Bahut anxiety ho rhi hai,Mai marr jau kya? Kya karu dam ghut rha hai?

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18 MAY 2023 AT 15:25

Can I just disappear? Everyone says I am indecisive .Can I just disappear?Non existence seems quite attractive.Can I just disappear? Everyone says I am impulsive.Can I just disappear?Why can I not get disinterested? Somedays are so weird.Uncertainity is only thing permanant and yet we can't seem to let go of other people's opinion's hand.Can I just disappear? Or just stop weighing me down and let me take steps ahead.

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18 MAY 2023 AT 13:38

उम्मीद का तराजू। क्या सच्चा, क्या झूठा? क्या सही, क्या गलत? क्या अधूरा, कौन पूरा। बेबस नजर , चुप निगाहें कोई आवाज़ दे तो सिर्फ हामी में सिर हिलाऐ। लोगों से डर , अनगिनत खौफ के पहरे, हर जुल्म तकदीर समझ सह जाए । ये ना उम्मीदी का आलम बुरा तो नहीं, जो लाश हैं जिंदा सपनों के मर जानें का उसे गिला तो नहीं। सज्जन कह गए सारे दुख की वजह औरों से उम्मीद हैं , ज़रूरत से ज्यादा क्यों लोगों से रखें कोई वास्ता। आज दुनिया साथ है कल खुद तुम्हे दिखा देगी अकेलेपन का रास्ता। रिश्ते नाम के होते हैं,जब तक पास मैं कुछ हैं तो सब जानकर हैं , किसी रोज़ वक्त बदला तो लोग भी बदल जायेंगे जैसे चुनाव के बाद सरकार। कैसे वादे, कौनसी बाते सब हवा हैं, वक्त-वक्त की बात हैं जिसका कल था कोई सब कुछ आज उस ही की ना- माजूदगी का गवाह हैं। दूसरों से उम्मीद क्या लगानी, खुद से लगा कर ही निभा पाओ तो कहना। ये संसार

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18 MAY 2023 AT 2:43

हम एक ही थाली के हैं चट्टे बट्टे। एक पल में संग हैं और अगले ही पल है लड़ते झगड़ते। जीजी कभी कभी इतना पकाती है,कुछ ज्यादा नहीं कह सकता हां लेकिन नानी जरूर याद आ जाती है। भाई हमारा शांत स्वभाव का, हां वक्त पर खाना लग जाना चाहिए, पूरे नवाबी शौक से खाने में दिलचस्पी रखते है।इतने अजीब नहीं हैं ,और जरूरत हो भी क्यों मैं जो ठहरी सारे घर का कोटा उठाने के लिए। कहने के लिए बहुत कुछ है पर ये आखिरी बार तो नहीं,इतना जरूर हैं,ये हैं तो मैं हूं ,इनके बिना मैं कुछ भी नहीं।

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18 MAY 2023 AT 2:25

हमारा थोड़ा अलग है रिश्ता। तू तू मैं मैं से शुरू और वही पर खत्म ।कोई मानेगा नहीं पर भाई नहीं पिताजी के बारे में फरमा रहे हैं। जब तक दिन में एक बार ना हो जाए बहस कहा ही मिलता है जीवन जीने का रस। पढ़ाई लिखाई से इन्हे हैं खासा प्रेम, दुनिया जहान की बातें किसी टॉपिक पर ऐसे करते जैसे खेल रहे हो कोई मनपसंद गेम। सफाई व्यवस्था से हैं विशेष लगाव, खाना बनाने के आगे इनका नहीं कोई जवाब। घर की जिम्मेदारी ,बड़े बुजुर्गों का खयाल , बच्चो की देखभाल , पिताजी अपने है एकदम ही कमाल। हमेशा कहते हैं बेटा अपने सारे सपने एक दिन जरूर होंगे साकार,खूब मेहनत करो और मन में सोचो अच्छे विचार।

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18 MAY 2023 AT 2:04

सोचा तो बहुत था, की हम मेरी आखिरी सांस तक साथ हो,हर बस की यात्रा की कहानी आपको उसी उलाल्स से सुनाऊं ,जैसे बचपन में अपनी किताब में से पढ़कर सुनाती थी। मैने साइकिल, नई ली है, खराब होने पर कोई ध्यान नही रखता आपकी जैसे। आप को मुझसे बात करना कितना पसंद था, मुझे सुनना हैं सब कुछ जो भी आप कहना चाहते थे और मैं सुन न सकी , आप वापस आ सकते हो क्या? जब तक होश है कभी नहीं भूल पाऊंगा आपका बनाया लेटरबॉक्स ,धूप में बैठकर कितनी मेहनत से बनाया था,वो मेरी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण गिफ्ट था।आप से जब भी सीखा जो भी सीखा सबसे अव्वल दर्ज का जीवन मूल्य सीखे।जिंदगी आप से हिंशुरू होती हैं और आप पर ही खत्म।शब्द कभी बयां कर nhi पाएंगे,आंखों से दिल में झांक सको को देख लो ,में सर से पैर तक आप ही से हूं।

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18 MAY 2023 AT 1:51

सपनों की कोई पाबंदी तो नही। उड़ान भरने की चाहत मतलब मैं बागी तो नहीं। बहुत दूर तक जाना हैं , बचपन में ही सोच लिया था,कदम बढ़ाने में जल्दबाजी तो नहीं? फासले दुनिया ने जो लाए दरमियाँ हैं,हम तय ही ना कर पाए कभी यूं सोचना इससे बड़ी नादानी तो कुछ नही।

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18 MAY 2023 AT 1:38

खूबसूरती क्या होती है? सुंदर मुख, नाक, नक्श,गोरे रंग, ऊंची कद काठी, मीठी आवाज़, और मोती वर्गी आंखे खूबसूरती का परिचायक। ये जो आज दुनिया का दस्तूर है,वो दुनिया को ही मुबारक। इस खेल से बाहर रहना बेहतर मालूम होता हैं। ये दुनिया जिसमें अहसासहत की कीमत कोड़ी भी ना नहीं रहीं वो आपको मुबारक। हर चीज बिकाऊ है, हर जज्बात की क़ीमत हैं। सब अपनी औकात के हिसाब से बोली लगाते हैं, ऐसी दुनिया में हम खुदा के साथ की करते हैं आरज़ू। मन मंदिर में झांक लेंगे उससे खूबसूरत कुछ हो दुनिया में वो साक्षात भगवान।

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18 MAY 2023 AT 1:19

घर घर संसार होता हैं। हमारा संसार औरों से इतना अलग क्यों हैं ? मां हम सब जैसे क्यों नहीं? अकसर लोग एक दूसरे के घर महफिल जमाते हैं। हमारे यहां आने से लोग क्यों कतराते हैं? खुशी से सब अपना ठहर ठिकाना बताते हैं। हम क्यों लोगों को कोई दूर का रास्ता बतलाते हैं। समझ आ जाए इतना आसान तो हैं,ना समझना चाहो उतना मुश्किल। न हम अलग हैं ना औरों में कोई दिक्कत। वक्त -वक्त की बात है क्यों सवालात में जिंदगी बितानी। मानो तो सोना न मानो तो पानी।

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18 MAY 2023 AT 1:04

राजा मां अक्सर रातों को सुनाती कहानी। राजा,रानी और सदियों पुरानी। मैं कब राजा बनूंगा, हर बार मन में प्रश्न आता , और देखते ही देखते में कहानी में ऐसा को जाता। मां ये राजा लोग अब कहा रहते हैं? मुझे भी उनसे मिलवाओ ना , मुझे बहुत से सवाल पूछने हैं मां। बोली सिर्फ इतनी सी बात थोड़ी देर सोचने का नाटक किया और फिर ले जा कर खड़ा कर दिया शीशे के सामने।

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