13.01.2015 लौटकर आओगे क्या?
सुना है कोई लौटकर नहीं आता उस जहां से!
जहां आप चले गए !
लेकिन..... फिर भी... अगर कभी आप लौटकर आओ...
तो आसमान में हमारे कुछ सितारे हैं,
जो हमने साथ मिलकर सजाए थे !!
कुछ ख्वाहिश ए बारिश की बूंदें,
जो कभी बरसी ही नहीं!!
वो सब साथ लेकर आना।
कुछ लम्हें जो साथ गुजारे थे,
उन लम्हों में जहां आँखें नम हुई थीं,
जहां ज़ोर से हंसते हुए आप रो दिए थे,
वो आंसु भी लेकर आना,
मैं उन्हें अपने हाथों से पहले की तरह पोछेंगी!
वो सारे दिन, महीने, साल सब कुछ लेकर आना!
मुझे वो बचपन जीना है,
आपके हाथ से पानी पीना है!
ज़िद करना है फिर रूठ जाना है,
आपसे खुद को मनवाना है!
हज़ार ख्वाहिशें बतानी है,
दीवाली पर नए कपड़े खरीदने हैं!
मैं अब काबिल हो गई हूं, तो आंखों को अपनी सुकून देना है,
अपनी तनख्वाह से आपको एक तोहफा देना है!
और सबसे ज़रूरी.... आप जब लौटकर आओ तो... मां के लिए सिंदूरी खुशियां,
मंगल धागे में पिरोए गए वचनों के सूत्र,
घर में झंकार करती हुई पायल,
और हाथों में खनकने वाली चूड़ियां लेकर आना !
मां ने हमारा आंगन तो खुशियों से भर दिया है,
मगर उनके आंगन में अब भी उदासी छाई है!
आप आओ तो रोशनी के तिनके लेकर आना !
मां को रोशनी के तिनकों से सजाना!
आप लौटकर आना......!!!!!
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