न दर्द हो, न राहत तुम,
न नफरत हो, न चाहत तुम,
न सुकून हो, न घबराहट तुम,
न शोर हो, न दबी हुई आहट तुम,
न खुश हो, न आहत तुम,
न मिठास हो, न कड़वाहट तुम,
न बड़ाई हो, न शिकायत तुम,
न मेरे संस्कार हो, न मेरी शरारत तुम,
न सलाह हो, न हिदायत तुम,
न किसी और के हो, न मेरी आदत तुम,
न खुद की कर सके, न खुदा की इबादत तुम,
न खुद की कर सके, न खुदा की इबादत तुम।
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