मैं इसलिये शांत नही कि कुछ बोलने को नही है
पर तुम्हारे लिए मैं कभी एकदम खास तो कभी बिल्कुल कुछ भी नही हूँ
मैने कभी सोचा नही था कि हमारी इतनी भी बात होगी
पर गलत ये सोचा की हमेशा होती रहेगी
तुमने मुझे तब हसाया जब हंसने की कोई वजह नही थी
मैं तुम पर कविताएँ भी लिखने लगी थी
पर अब लगता है कि उनमे से तुम्हे एक भी याद होगी?
कभी मेरी तरह रात मे चैट्स खोल कर
क्या तुमने भी कभी खुद से बातें की होंगी?
तुम्हारी याद नही आती पर उसकी आती है जो मुझसे शुरु मे मिला था
जिसकी हसी और बातें कभी रुका नही करती थी
अब तुम्हारी नज़रो के सामने से मैं ऐसे गुजर जाती हुँ मैं
जैसे तुमने पहले मुझे कभी देखा ही नही
आज भी उस नाम से कोई बुलाये मुझे तो तुम्हारी याद आती है
बुरी आदत लगा दी यार तुमने कि अब सब ये अकेलापन भी अपना लगता है
अब रात भर जग के इंतज़ार करने की कोई वजह नही
तुम्हारी यादें अब भी है मेरे पास पर तुम नही!
क्या कहूँ तुमसे अब, जब पहले जैसा रिश्ता ही नही
बात आज भी वैसे ही की थी मैने
पर पहले जैसा तुमने सुना ही नही!!
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