मोहब्बत मुझे ही नही
मोहब्बत मुझसे उसे भी थी
बातों में तकरार था तो कभी नाराज़गी तो कभी प्यार था
जाना तो था दूर उससे पर मेरे हाथों में उसका हाथ था
कहता था तेरे जाने की ख़ुशी होगी
लेकिन ना जाने आज उसकी आँखों में क्यूँ नमी सी थीं
दर्द मुझे था तो दर्द उसे भी था
पर कुछ जिम्मेदारियाँ हमारे हिस्सों में थीं
चाहते तो तनिक भी ना थे उसका साथ छोड़ना
पर कम्बख्त रश्मों रिवाजों की बेड़ियाँ
हमारे क़िस्मत में थी
मोहब्बत मुझे ही नहीं
मोहब्बत मुझसे उसे भी थी
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