" वो जो मुझे छोड़ कर इतनी दूर जा कर बैठा है " " मेरे मन के कोने मे इक ख्याल आ कर बैठा है " " छोड़ ये मोहब्बत-वोहब्बत और निकल सफ़र में " " वो ख्याल बस यही इक बात हर रोज कहता है "
बेबसी ये है कि कांटों पे चल रहा हूं मैं, दुख ये है कि फ़िर भी हँस रहा हूं मैं..! मंज़िल बहोत ऊंची है गिरने का डर भी है, फ़िर भी बहोत संभल के चढ़ रहा हूं मैं..!