Amit Rathore   (Mr.azmth)
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Joined 27 May 2019


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Joined 27 May 2019
23 APR AT 23:12

कहीं आना जाना लगा रहता है
लोगों से मिलना बिछड़ना लगा रहता है
उलझनों मे उलझे है वैसे भी सब खैर
लबों से मुस्कराना तो हर किसी का लगा रहता है

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22 APR AT 22:55

तुमसे भला कोई नही, तुम देख बस खुद को दुसरो की नज़र से हो

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22 APR AT 22:45

जीवन मे दुखो का आना हमारी गलती का सबक है
और गलती पर गलती करना, हमारे दुखों का कारण है

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29 AUG 2023 AT 0:18

छोड़ कर उसको दूंढते फिरते हो कोई और उसके जैसा
एक ही शख्स था जमाने में कोई और नहीं उसक जैसा

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25 FEB 2023 AT 23:31

किसी रोज हमारे अंशुओ पर भी अफसोस दिखला देना

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25 FEB 2023 AT 23:24

पहले होती है उम्र भर की बात
बाद में बात भी नहीं होती...

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25 FEB 2023 AT 23:21

कलयुगी समाज में
अगर किसी को याद भी करो तो
लोगों को लगता है किसी मतलब से याद किया होगा

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25 FEB 2023 AT 23:19

नज़रिया मेरा इतना बुरा हो गया है
की शहर में कोई अच्छा नजर ही नहीं आता मुझको

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10 JAN 2023 AT 23:36

ना देखा सही से ना हुई कभी उनसे मेरी कोई बात कभी
अल्फाज़ो के समंदर् मे हुई पहली मुलाकात तभी
उलझनों की नदियों मे बहे रहे थे मेरे किरदार सभी
तुमसे मुलाकात के बाद ,हुई सावन की पहेली बरसात अभी
गुजर रहे थे दिन ,उलझोने वाले,तुमसे मिल कर आई है सौगात अभी

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10 NOV 2022 AT 22:27

आप तो सिर्फ अभी हमारे बचपने और मासूमियत वाले किरदार से मिले है
अभी आप वाकिफ ही कहा घर के सबसे छोटे नवाबी राठौर साहब से

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