Amit Raj   (Amit Raj)
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Joined 9 November 2019


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Joined 9 November 2019
21 JAN 2021 AT 18:27

इस टूटे दिल को कैसे यूं ही जोड़ा जाए
इन दीवानों को कैसे अकेला छोड़ा जाए,

ये तो दीवाने है खुद के मन की करते हैं
इस टूटे दिल का तार कहां तक जोड़ा जाए,

ये जो मिलकर दिल की बात दुनिया से करते हैं
उन दीवानों को कैसे राह अकेला छोड़ा जाए ,

हुआ है पत्थर दिल यह इसको तोड़ा जाए
अमित सोचा टूटे दिल को किसी से जोड़ा जाए,

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21 JAN 2021 AT 18:25

हम समय की तीन सुईयां
हमको चलना है निरंतर

एक की रफ्तार ऐसी
जैसे चलता हो बवंडर

दूसरे की दुर्गति सी चाल देखो
जैसे स्थिर मुक खंडहर

तीसरे को ढो रहे हैं
विवश होकर दो ही बंदर

एक गतिशील एक चुप है
तीसरे को आधि-व्याधि दु:ख है

ये समय की तीन सुईयां
एक मुक है एक गतिशील

Amit Raj










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21 JAN 2021 AT 17:01

यह इश्क़ में दहशत फैलाई किसने
ये मेरे दिल में लगी जो आग
वो आग लगाई किसने

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21 JAN 2021 AT 16:18

जिंदगी में कुछ पाने से पहले कुछ खोना पड़ता है
और जनाब हंसने से पहले हमें खूब रोना पड़ता है

क्योंकि फसल काटने से पहले
परिश्रम से बीज को बोना पड़ता है

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20 JAN 2021 AT 23:00

समय हमेशा एक जैसा हो ऐसा कभी होता नहीं
समय से ज्यादा मिल जाए जिंदगी
तो ना हुआ है ना होगा कभी

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19 JAN 2021 AT 16:56

जरा सी बात पर नखरे यूं दिखाया ना करो
हमारी गली में यूं तुम सज-धज के आया न करो
कि इश्क करती हो तो जरा ये ध्यान रखना
की गली में हर किसी को देख कर यूं मुस्कुराया ना करो

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19 JAN 2021 AT 16:13

तुम्हारी हर अदा पे मर गए हम
बेशर्मीयों में इतने गिरे की
इश्क की तन्हाई में गिर गए हम

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18 JAN 2021 AT 23:24

मिले जो तजुर्बे से जिन्दगी आप जी लिए
गम हो जो सैर-ए-जमाने में
तो गम के आंसू भी बेशक पी लिजीए
यूँ रूठना मनाना तो चलता ही है जिंदगी में
आप भी जरा जिन्दगी मुस्कुराकर जी लिजीए

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18 JAN 2021 AT 12:02

दही में हो शक्कर कम
गुरु बनारसियों से लेना टक्कर कम

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18 JAN 2021 AT 11:16

मधुशाला ले आई निशा फिर
अंधेरी इन रातों में
नींद का निर्माण हुआ फिर
थोड़ी-थोड़ी बातों में
निशा निमंत्रण लेकर आई
प्रणय पत्रिका हाथों में
सूत की माला , खादी के फुल
सतरंगी लेकर आई मधुबाला
मधुकलश लिए हाथों में
क्या भूलूं क्या याद करूं
बहुत दिनों के बातों में
कटती प्रतिमाओं की आवाजें
सुनी थी हमने रातों में
एकांत संगीत सुनाने को
आई मधुबाला लेकर हाला रातों में
चार खेमे चौसठ खुटे
बाधो दो चट्टानों में
इधर उधर की बातें करना
गलत नहीं है रातों में
मिट्टी को भी सोना कर दे
अद्भुत खुबी थीं
बच्चनजी के हाथों में

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