Amit Punia   (Amit Kumar)
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Writer हुं लिख लेता हुं।
Joined 16 May 2020


Writer हुं लिख लेता हुं।
Joined 16 May 2020
9 APR AT 22:40

नेकी काम आएगी, तू नेकी किए जा।
जिस हाथ मिला है, ऐसे ही दिए जा।।

पल पल जिंदगी के, तू खूल के जिए जा।
मिलता है जो श्रद्धा भाव से, वो लिए जा।।

फल की चिन्ता मत कर, बस तू कर्म किए जा।
बाकी मत रख कुछ भी, हिसाब बराबर किए जा।।
---- अमित कुमार----

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29 FEB AT 22:31

असफलता एक चुनौती है इसे स्वीकार करो।
मंझधार तक आ ही गए हो सागर पार करो।।

लहरें उठेगी जोरों से, आंधी तूफान आएंगे।
रास्ते में पता नहीं कैसे कैसे इम्तिहान आएंगे।।

तू रुकना नहीं, तू झुकना नहीं, तू थकना नहीं।
तू रोना चिल्लाना नहीं, तू बक बक बकना नहीं।।

पार होगा समुंद्र, बस तू निडर निरंतर चलता रह।
अमित तू लेके भोले का नाम, राम-राम रटता रह।।
--अमित खरक पुनिया---

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22 JAN AT 23:07

मर्यादा पुरुषोत्तम राम।
मेरे आपके सबके राम।।

बड़े ही सीधे और सरल है।
ह्रदय उनका बड़ा तरल है।।

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12 NOV 2023 AT 7:55

Wish you a happy Dipawali. May this Dipawali bring to you good health, peace, love and prosperity.


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4 SEP 2023 AT 10:12

मन अपने मन में और भी मन रखता है।
कहीं एक मन तो कहीं बेमन रखता है ॥
-अमित कुमार

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3 JUL 2022 AT 22:55

ये दिल साफ के लोग।
ये उच्चे ग्राफ के लोग।।

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23 JUN 2022 AT 6:45

फर्क है तेरे और उसके मिजाज में।
फर्क है तेरे और उसके सुराज में।।
फर्क है तेरे और उसके कल-आज में।
फर्क है तेरे और उसके कामकाज में।।
फर्क है तेरे और उसके लहजे लिहाज में।
फर्क है तेरे और उसके दमन-स्वराज में।।
फर्क है तेरे और उसके कबूतर व बाज में।
फर्क है तेरे और उसके चमचे व समाज में।।
फर्क है तेरे और उसके घमंड और नाज में।
फर्क है तेरे और उसके खात्मे व आगाज में।।
----अमित खरक पुनिया----

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23 JUN 2022 AT 6:27

टूट गया हुं, मैं तनाव बङे में हुं।
बेअंत दर्द, मैं घाव बङे में हुं।।
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15 JUN 2022 AT 13:03

श्मशान की ओर ही जाते हैं ये सारे रास्ते।
फिर घमंड, ईर्ष्या, द्वेषभाव काहे के वास्ते।।

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12 JUN 2022 AT 7:32

थोडी सी हवा मिलते ही गुब्बारे से फूल जाते हैं लोग।
कल किस ने क्या किया उनके लिए भूल जाते हैं लोग।
बिना तली के लोटे के जैसे किधर भी ढुल जाते हैं लोग।
ईज्जत बेच के अपनी मुट्ठीभर पैसों में तुल जाते हैं लोग।।
----अमित कुमार----

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