असफलता एक चुनौती है इसे स्वीकार करो।
मंझधार तक आ ही गए हो सागर पार करो।।
लहरें उठेगी जोरों से, आंधी तूफान आएंगे।
रास्ते में पता नहीं कैसे कैसे इम्तिहान आएंगे।।
तू रुकना नहीं, तू झुकना नहीं, तू थकना नहीं।
तू रोना चिल्लाना नहीं, तू बक बक बकना नहीं।।
पार होगा समुंद्र, बस तू निडर निरंतर चलता रह।
अमित तू लेके भोले का नाम, राम-राम रटता रह।।
--अमित खरक पुनिया---
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