Amit Kumar   (हल्कि बात)
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क्या करोगे जान के शख्सियत मेरी,
तुम फिर भूल जाओगे मुझे ज़माने की तरह।
Joined 19 June 2018


क्या करोगे जान के शख्सियत मेरी,
तुम फिर भूल जाओगे मुझे ज़माने की तरह।
Joined 19 June 2018
18 JAN 2022 AT 0:49

ये बंद आँखों के नज़ारे बहुत हैं,
हमें मुहब्बत एक से हुई पर फसाने बहुत हैं,
एक आँख में बंद है इक चाँद सा चेहरा,
पर दूसरी आँख में मेरी सितारे बहुत हैं,
ये लफ्जों के खेल में ही कोई बात है शायद ,
हमें मोहब्बत है तुमसे.....पर ये सुनने वाले बहुत हैं...

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24 DEC 2021 AT 16:47

If the days have been good,
The nights would be better,
Circling ur mind with thoughts of others,
this thing could be done later..
Dont take stress, just free your mind ..
Try to be a person of your own kind..
Stay close to atleast ur own..
Because u gonna feel really bad..
when urself will be far gone...

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11 DEC 2021 AT 19:44

बिता लिया दिन अब शाम बाकी है,
मेहनत पूरी करी पर अब भी कुछ काम बाकी है,
सोचता तो हूँ कि रुख महकाने कि तरफ मोड़ लू,
पर छोटे से तेरे शहर में, मेरा अब भी कुछ नाम बाकी है,

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11 DEC 2021 AT 14:27

ज़हन की बात थी ज़हन तक रहने देते,
औरों को बता के कहो के फ़ायदा क्या है,
शौक तलक ठीक था पीना तुम्हारा,
इतनी शराब पीने का फ़ायदा क्या है...

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26 NOV 2021 AT 1:51

मेरे शहर के कुछ लोग मिले हैं इस शहर में भी,
मैं अब उतना अजनबी भी मेहसूस नहीं करता,
दिन भर होश में रहना ज़रूरत है काम की,
मैं मदहोश होने के लिए अब रात का इन्तेज़ार नहीं करता ..

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23 OCT 2021 AT 0:21

हुस्न पर अपने थोड़ा रुबाब रखा करो,
और पैमाने में थोड़ी शराब रखा करो,
मेरे भी किस्सों की कमी नहीं है बाज़ार में,
तुम भी आशिकों के अपने हिसाब रख्खा करो....

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3 OCT 2021 AT 0:47

धीमी सी आँच pe कहीं इश्क पक रहा है,
किसी कि zulfo में इत्र लगा है शायद,
किसी कमरे की बत्तियों pe अलग ही एक रंग chadha है,
शायद किसी के कमरे से गाने की आवाज आ रही है,
और किसी कमरे में बैठ कोई हमें तक रहा है...

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12 SEP 2021 AT 20:27

हर बात पे तेरी कुछ इस कदर यकीन किये बैठे हैं,
ऐ चाँद तू ज़मीन तक आ कभी, हम इन्तेज़ार में बैठे हैं..

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27 AUG 2021 AT 1:26

पैमाना खाली है कोई भरेगा क्या,
महखाने बहुत हैं कोई साकी बनेगा क्या,
मैं कभी आबाद था तो काफी लोग थे मेरे पीछे,
मैं अब बर्बाद होना चाहता हूँ...कोई साथ चलेगा क्या...

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27 AUG 2021 AT 1:04

के अब मह में भी वो सुनहरा रंग नही मिलता,
मुझे कुछ लोग रोज़ मिलते हैं पर कोई तुझसा नही मिलता,
खैर तुझसे भी कहकर ये बात अब फायदा क्या है,
इक वक़्त था जब मुझमें तेरा साया पा जाते थे कुछ लोग,
इक वक़्त है जब तुझमे भी अब तू नही मिलता....

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