BROKEN like those fallen leaves, flown over the wind, directionless, baseless, dry, and recklessly trampled... which were used to be the beautiful, lively and sweet green, once.
अब वो पहले सी, मेरी ख़बर नहीं रखता, मेरी हरकतों पर भी, अब वो नज़र नहीं रखता, वो कहता तो हैं, मैं उसके दिल में हूँ मगर, उसकी धड़कनों में शायद, मैं बसर नहीं करता, अब वो मेरी ज़रा सी भी, फ़िकर नहीं करता, अपनी धड़कनों से मेरा, अब वो कोई ज़िकर नहीं करता...
दिल में तुम्हें देखने की आरज़ू, आरज़ू रह गयी तेरी याद मेरी धड़कनों से हो कर, लहू में बह गयी मैं तो रह गया ऐसे, जैसे विरान रेगिस्तान कोई तरसता रहा बेशुमार तिश्नगी ले कर जैसे जान मेरी सदियों से, तेरे बरसात को तरस गयी
ना तो कुछ चाहूँ ना सताऊँ तुझे अपनी निगाहों में रख लूँ पर नज़र ना आऊँ तुझे मैं आसमाँ से टूट जाऊँ तेरी हर ख्वाहिश की ख़ातिर अश्क बन जाऊँ पर कभी ना रुलाऊँ तुझे तू लाख चाहें तो भी भुला ना सके मुझे और तू सब कुछ भूल भी जाए तो फिर भी मैं याद आऊँ तुझे