Amardeep Singh   (Amar Atheist)
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Atheist
Joined 30 October 2019


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Joined 30 October 2019
6 JAN 2023 AT 8:07

कुछ कमियां हम में भी थी,
कुछ कमियां उसमें में भी थी।
फर्क बस इतना सा था कि,
वो गिनाते गए
और हम भूलते गए।।

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28 DEC 2022 AT 20:41

कैसे मैं शुक्रिया अदा करूँ,
इस Yq का, मुझे अलफ़ाज़ नहीं मिलते !
ज़िन्दगी इतनी खूबसूरत न होती,
मुझे अगर आप जैसे दोस्त नहीं मिलते!! ❤️❤️
~Amar Atheist

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31 JUL 2022 AT 9:14

कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते..
एक बार खैरियत तो पूछ के देखियें....
 

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3 JAN 2022 AT 20:07

'अशुद्ध होते ईश्वर'
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पहले ईश्वर शूद्रों से डरा,
फिर वो अछूतों से डरा,
फिर उसे औरतें अशुद्ध कर गयी।
शूद्रों का खून खराब था,
और औरतें खून के साथ खराब थी।
पर-
विज्ञान ने अपना दरवाजा खुला रखा,
मंदिर की घंटी से पहले,स्कूल की घंटी बज गयी।
इस तरह-
मेरे अशुद्ध होते ईश्वर को ,मुझसे मुक्ति मिल गयी।
(माता सावित्री बाई फुले के जीवन से प्रेरित)

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2 JAN 2022 AT 10:11

एक बार किसी महापुरुष ने ,
बड़ी कमाल की बात कही थी.…..…...
(Read in caption..........)

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29 DEC 2021 AT 21:01

खुद से ज्यादा संभालकर
रखता हूं मोबाइल अपना......
क्योंकि रिश्ते सारे अब इसी में कैद है😊...

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26 DEC 2021 AT 1:32

देखा तेनु पहली पहली बार वे,
होने लगा दिल बेकरार वे,
रब्बा मैनु की हो गया,
दिल जानिये हाय मैनु की हो गया...,..

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25 DEC 2021 AT 18:41

मनुस्मृति दहन दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं😊
अगर ये दिन ना आता तो sc st obc व all women के जीवन में कभी उजियारा न होता और ऐसा जीवन जीने के लिए मजबूर होते, जो उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा।
मनुस्मृति दहन आज भी उतना ही प्रासंगिक है ,जितना उस समय था।क्योंकि आज भी इंसान को इंसान न मानने वाली मनुस्मृति को मानने वाले लोगों की सोच वैसी ही है।
इसलिए सभी को मनुस्मृति दहन दिवस की अशेष बधाई,जय भीम🙏🙏

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21 DEC 2021 AT 7:30

दोस्तों हम उन्हें मुड़ मुड़ कर देखते रहे,
और वो हमें मुड़ मुड़ कर देखते रहे।
वो हमें हम उन्हें,हम उन्हें वो हमें,
क्योंकि परीक्षा में न उन्हें कुछ आता था,न हमें।।😂

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21 DEC 2021 AT 7:18

❝ मैंने चाहा तुझे अबला समझ कर,
तेरे बाप ने पीट दिया मुझे तबला समझ कर। ❞

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