'अशुद्ध होते ईश्वर'
●●●●●●●●●
पहले ईश्वर शूद्रों से डरा,
फिर वो अछूतों से डरा,
फिर उसे औरतें अशुद्ध कर गयी।
शूद्रों का खून खराब था,
और औरतें खून के साथ खराब थी।
पर-
विज्ञान ने अपना दरवाजा खुला रखा,
मंदिर की घंटी से पहले,स्कूल की घंटी बज गयी।
इस तरह-
मेरे अशुद्ध होते ईश्वर को ,मुझसे मुक्ति मिल गयी।
(माता सावित्री बाई फुले के जीवन से प्रेरित)
-