" जिंदगी का जवाब " मत कर शिकवा ऐ सिया अब मुझसे तू कितनी छोटी हू मैं ,तू ये जानती होगी वफादारी तो सिर्फ एक से न मिली गदारी का बोझ देना सबपे ,ये बात अब न लाजमी होगी
शब्द तेरे ,गहरे होते जा रहे है अब बातों में भी दर्द दिखने लगा है लगता है जिंदगी ने बहुत कुछ सिखला दिया है तुम्हे कौन कितना अच्छा है ये बतला दिया है तुम्हे